रूमी: जो इश्क करने वालों की मंजिल भी हैं और रास्ता भी
Zee News
अगर आप अतिवादी नहीं है, तो आप प्रेमी भी नहीं हैं. जीवन को शांति और संयम के पहिए में बांध देने वाला शख्स... वह क्या ही प्रेमी होगा. और जो ऐसा हो गया वह रूमी हो जाएगा... पर ऐसा शायद ही मुमकिन हो.
नई दिल्ली: ये तारीखों वाले अल्फाजों में बहुत पीछे की बात है. इतनी कि आसमान में दौड़ लगा रहा आज का आदमजात फिर से जमीं पर आ जाए और एक-एक कदम कर के वैसे ही चले-फिरे जैसे कि 13वीं सदी के उस दौर में चला करता था. अपनी चाल में ही सही लेकिन जमाना तब भी तेजी से कदम बढ़ा रहा था. बस ठहरा था तो केवल एक शख्स. उसकी अपनी ही अलग दुनिया थी. जब मीनारों से आवाज आती अल्लाह हु अकबर तो उसे इश्क सुनाई देता, जब सिजदों में सिर झुक जाया करते तो उसे इश्क दिखाई देता. दुनिया उसे ऐसा करते देखती तो कहती है, क्या पागलपन है? ये तो गलत है. वह कहता 'सही और गलत से दूर एक जगह है, मैं तुम्हें वहां मिलूंगा'More Related News