राज कपूरः विदेशी शराब पीते थे लेकिन ज़मीन पर सोते थे
BBC
राज कपूर की 97वीं जयंती पर उनके जीवन से ज़ुड़े दिलचस्प पहलुओं को विवेचना में याद कर रहे हैं रेहान फ़ज़ल.
राज कपूर के बारे में एक कहानी बार बार सुनाई जाती है कि पचास के दशक में जब नेहरू रूस गए तो सरकारी भोज के दौरान जब नेहरू के बाद वहाँ के प्रधानमंत्री निकोलाई बुल्गानिन के बोलने की बारी आई तो उन्होंने अपने मंत्रियों के साथ 'आवारा हूँ' गा कर उन्हें चकित कर दिया.
1996 में जब राज कपूर के बेटे रणधीर कपूर और बेटी ऋतु नंदा चीन गए तो उनकी आँखों में उस समय आंसू आ गए जब चीनी लोगों ने उन्हें देखते ही 'आवारा हूँ' गाने लगते. उन्हें ये नहीं पता था कि ये दोनों राज कपूर के बेटे बेटी थे, लेकिन वो ये गीत गा कर राज कपूर और भारत का सम्मान कर रहे थे. कहा तो ये भी जाता है कि 'आवारा' माओ त्से तुंग की पसंदीदा फ़िल्म थी.
ऋतु नंदा बताती हैं कि 1993 में जब रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन भारत आए और उन्हें बताया गया कि वो उनसे मिलना चाहती हैं, तो न सिर्फ़ वो इसके लिए तैयार हो गए, बल्कि उन्होंने उनकी किताब पर एक नोट लिखा, "मैं आपके पिता से प्रेम करता था. वो हमारी यादों में आज भी मौजूद हैं."
आख़िर राज कपूर की लोकप्रियता का राज़ क्या था? एक बार जब राज कपूर लंदन में बीबीसी के बुश हाउश दफ़्तर में आए थे तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा था, "ये सन् 1954 का किस्सा है जब मैं अपनी दो तस्वीरें ले कर रूस गया था. उनमें से एक थी 'आवारा'. इस तस्वीर से हमारा रूस के लोगों से पहला परिचय हुआ. वो थोड़ा बहुत हिंदुस्तान को जानते थे, लेकिन इन तस्वीरों के ज़रिए वो हिंदुस्तान के और क़रीब आए."
"आवारा के क़िरदार की शक्लसूरत कुछ राज कपूर जैसी थी, लेकिन दिल उसका अवाम का था, हिंदुस्तान के उस नौजवान का था जो आज तक उसी प्यार से धड़कता है. दरअसल उन्होंने राज कपूर को नहीं अपनाया, उन्होंने हिंदुस्तान के उस नौजवान को अपनाया जिसका दिल बार बार यही कहता था."