रईसों से ज़्यादा टैक्स कैसे वसूल सकती है सरकार?- दुनिया जहान
BBC
अधिकतर मुल्कों में अरबपति अपनी संपत्ति के हिसाब से बेहद कम टैक्स देते हैं. वहीं एक आम मध्यवर्गीय परिवार अपनी आय का 14 फ़ीसदी तक या फिर उससे अधिक टैक्स के रूप में देता है.
जेफ़ बेज़ोस, वॉरेन बफेट, एलन मस्क, माइकल ब्लूमबर्ग- शायद ही कोई इन नामों से परिचित न हो. ये दुनिया के कुछ सबसे अमीर लोगों के नाम हैं.
इसी साल जून में प्रोपब्लिका नाम की एक वेबसाइट ने दावा किया कि अमेरिका के 25 अरबपति अपनी आय के हिसाब से बेहद कम टैक्स देते हैं. जेफ बेज़ोस ने 2007, 2011 में और एलन मस्क ने 2018 में कोई इनकम टैक्स ही नहीं दिया. वॉरेन बफ़ेट की टैक्स दर 0.10 फ़ीसदी है.
वहीं एक आम मध्यवर्गीय परिवार अपनी आय का 14 फ़ीसदी तक टैक्स के रूप में देता है.
भारत की बात करें तो, मोदी सरकार ने 2016 में संपत्ति कर को ख़त्म कर दिया और उसकी जगह 2 फ़ीसदी का सरचार्ज लगाया. 2019 में इसे भी ख़त्म कर दिया गया. दूसरी तरफ़ विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के नाम पर कॉर्पोरेट टैक्स को 30 फ़ीसदी से घटाकर 22 फ़ीसदी कर दिया गया.
साथ ही प्रत्यक्ष करों की बजाय अप्रत्यक्ष करों में बढ़ोतरी की गई, जिसका असर ग़रीबों और मध्यवर्ग पर पड़ा. हालांकि सरकार भी इसके असर से अछूती नहीं रही. उसका भी वित्तीय घाटा बढ़ा.