'ये दिल माँगे मोर' कह कर कैप्टेन विक्रम बत्रा बन गए थे कारगिल युद्ध का चेहरा
BBC
कैप्टन विक्रम बत्रा को उनके अदम्य साहस के लिए भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. अगर आज वो जीवित होते तो 47 साल के होते.
कारगिल की लड़ाई से कुछ महीने पहले जब कैप्टेन विक्रम बत्रा अपने घर पालमपुर आए थे तो वो अपने दोस्तों को 'ट्रीट' देने 'न्यूगल' कैफ़े ले गए. जब उनके एक दोस्त ने कहा, "अब तुम फ़ौज में हो. अपना ध्यान रखना..." तो उन्होंने जवाब दिया था, "चिंता मत करो. या तो मैं जीत के बाद तिरंगा लहरा कर आउंगा या फिर उसी तिरंगे में लिपट कर आउंगा. लेकिन आउंगा ज़रूर." परमवीर चक्र विजेताओं पर किताब 'द ब्रेव' लिखने वाली रचना बिष्ट रावत बताती हैं, "विक्रम बत्रा कारगिल की लड़ाई का सबसे जाना पहचाना चेहरा थे." "उनका करिश्मा और शख़्सियत ऐसी थी कि जो भी उनके संपर्क में आता था, उन्हें कभी भूल नहीं पाता था. जब उन्होंने 5140 की चोटी पर कब्ज़ा करने के बाद टीवी पर 'ये दिल मांगे मोर' कहा था, तो उन्होंने पूरे देश की भावनाओं को जीत लिया था."More Related News