
मोदी सरकार से विश्व की 50 बड़ी हस्तियां-राजनीतिक बंदियों को छोड़ दें
The Quint
political prisoners release: दुनियाभर की 50 से ज्यादा प्रतिष्ठित हस्तियों ने भारत सरकार से गिरफ्तार किए गए मानवाधिकार कार्यकर्त्ता और राजनीतिक बंदियों को छोड़ने की अपील की, 50 prominent personalities urge modi govt to release political prisoners
दुनियाभर की 50 से ज्यादा प्रतिष्ठित हस्तियों ने एक साझा बयान जारी कर भारत सरकार से गिरफ्तार किए गए सभी मानवाधिकार कार्यकर्त्ता और राजनीतिक बंदियों को छोड़ने की अपील की है. बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में कई यूरोपियन देशों के संसद सदस्य, अकादमिक, वकील, नोबल प्राइज विजेता, सिविल सोसाइटी के नेता और कई संगठन शामिल हैं.बयान में अपील की गई है कि भारत सरकार दया और जिम्मेदारी दिखाते हुए मौजूदा कोविड इमरजेंसी में 'मानवाधिकार रक्षकों' को रिहा कर दे. इसमें कहा गया कि भारतीय जेलों में कोविड फैलने की वजह से इन लोगों के स्वास्थ्य को खतरा है.बयान में कोविड प्रभावित कैदियों, जेलों में बढ़ती कैदियों की संख्या और खराब हेल्थकेयर पर चिंता जताई गई. ADVERTISEMENTभीमा-कोरेगांव केस का जिक्रइन हस्तियों ने अपने बयान में भीमा-कोरेगांव केस का जिक्र किया है. बयान में कहा गया कि इसमें गिरफ्तार हुए ज्यादातर लोग वरिष्ठ नागरिक हैं और उन्हें कई और बीमारियां भी हैं.बयान में कहा गया, "सभी मानवाधिकार रक्षकों का मजदूरों, अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों के लिए शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीकों से लिखने, बोलने और काम करने का रिकॉर्ड है."बयान में चेतावनी दी गई कि इन लोगों को रिहा न करने से देश नागरिकों की जान की रक्षा करने के अपने संवैधानिक दायित्व का उल्लंघन करेगा. ADVERTISEMENTबयान के साथ एक खुला खत भीबयान पर हस्ताक्षर करने वालों में यूएन वर्किंग ग्रुप ऑन आरबिटरेरी डिटेंशन के पूर्व अध्यक्ष जोस एंटोनियो गुएरा-बरमुडेज, केंटरबरी के पूर्व आर्कबिशप रोवन विलियम्स और जर्मनी, यूके, स्पेन, आयरलैंड समेत कई देशों के संसद सदस्य और वकील शामिल हैं.बयान के साथ एक खुला खत भी लिखा गया है, जिसे 1200 से ज्यादा अकादमिकों और अकादमिक संस्थानों का समर्थन मिला है. इसमें भारत में कैद अकादमिक और सिविल लिबर्टी एक्टिविस्टों को रिहा करने की अपील की गई है. ये अपील इंटरनेशनल सॉलिडेरिटी फॉर अकादमिक फ्रीडम इन इंडिया (InSAF India) की एक पहल है. अपील में कहा गया कि मौजूदा स्थिति में प्री-ट्रायल हिरासत से रिहा करना ही कैदी के जीने के अधिकार को सुरक्षित करने का इकलौता तरीका है.(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)ADVERTISEMENT...More Related News
