मुद्रा और चालू खाते को लेकर भारत की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है
The Wire
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत 3.5 फीसदी के काफी उच्च स्तर के चालू खाते के घाटे की संभावना से दो-चार है. एक अनुमान के मुताबिक़, भारत का चालू खाते का घाटा 100 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर हो सकता है. सरकार के सामने इस बढ़ रहे चालू खाते के घाटे की भरपाई पूंजी प्रवाह से करने की चुनौती है.
पिछले कुछ हफ्तों से, जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) द्वारा लगातार बाजार में बिकवाली का दौर जारी रहा, भारतीय रिजर्व बैंक भारतीय मुद्रा रुपये की विनिमयय दर को थामने की एक हारी हुई लड़ाई लड़ता दिखा.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मुख्य तौर पर भारतीय ब्लूचिप कंपनियों के शेयरों की बिक्री है और भारतीय बाजार से 2.3 लाख करोड़ रुपये (लगभग 30 अरब अमेरिकी डॉलर) की बड़ी रकम निकाल ली है. इसने भारतीय रुपये पर और नीचे गिरने का भीषण दबाव बनाने का काम किया है.
रुपये में ऐतिहासिक गिरावट का दौर जारी है और यह आरबीआई द्वारा भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर की बिक्री करके इसे संभालने की कोशिशों को धता बताते हुए प्रति डॉलर 79 रुपये से ज्यादा नीचे गिर चुका है. सिर्फ एक पखवाड़े में ही रिजर्व बैंक ने 10 अरब अमेरिकी डॉलर की बिक्री की है.
बता दें कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, अक्टूबर, 2021 के 642 अरब अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर से 50 अरब अमेरिकी डॉलर घट गया है. इसके अलावा तेल-गैस का एक बड़ा आयातक होने के नाते ज्यादातर विशेषज्ञों के अनुमानों के मुताबिक भारत 3.5 फीसदी के काफी उच्च स्तर के चालू खाते के घाटे की संभावना से भी दो-चार है. ठोस आंकड़ों में तब्दील करें, तो भारत का चालू खाते का घाटा 100 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर हो सकता है. सरकार के सामने इस बढ़ रहे चालू खाते के घाटे की भरपाई पूंजी प्रवाह से करने की चुनौती है.