‘मां ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, अफ़ग़ानिस्तान वापस मत लौटना’
The Wire
अफ़ग़ानिस्तान के मज़ार-ए-शरीफ़ के रहने वाले क़ुर्बान हैदरी ने इसी साल जेएनयू से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की है और 31 अगस्त को उनकी वीज़ा अवधि ख़त्म होने के बाद से वे अनिश्चितता से घिरे हुए हैं. अफ़ग़ानिस्तान में तालिबानी हिंसा के शिकार अल्पसंख्यक समुदाय हज़ारा से आने वाले हैदरी को डर है कि अगर वीज़ा एक्सटेंड नहीं हुआ तो देश वापस लौटने पर उनकी जान ख़तरे में होगी.
नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से वहां तेजी से बदल रहे घटनाक्रम किसी से छिपे नहीं है. ऐसे में अपने देश से दूर भारत में रहकर पढ़ाई कर रहे अफगान छात्रों की चिंताओं और समस्याओं की कई कहानियां रह-रहकर सामने आ रही हैं. ऐसे ही अफगानी छात्रों में से एक अफगानिस्तान के मज़ार-ए-शरीफ के रहने वाले कुर्बान हैदरी हैं, जो साल 2018 से भारत में हैं और इसी साल दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) से पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं. 31 अगस्त को उनकी वीज़ा अवधि समाप्त हो जाने के बाद से वे डर और अनिश्चितता से घिरे हुए हैं. कुर्बान द वायर के साथ बातचीत में बताते हैं, ‘अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से भारत में पढ़ाई कर रहे अफगान छात्रों के लिए स्थिति काफी पेचीदा हो गई है. मुझ जैसे कई छात्रों के वीज़ा की अवधि समाप्त हो गई है और कुछ की खत्म होने की कगार पर है.’ जेएनयू से कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्ट ग्रैजुएशन कर चुके कुर्बान हैदरी कहते हैं, ‘मेरे वीज़ा की अवधि सबसे पहले 21 जुलाई को समाप्त हुई थी लेकिन बाद में इसे एक्सटेंड कर 31 अगस्त कर दिया गया लेकिन अब वीज़ा एक्सपायर होने पर मैंने ‘चेंज डॉट ओआरजी’ के जरिये एक ऑनलाइन पिटीशन शुरू किया है ताकि मुझ जैसे कई अन्य अफगानी छात्रों का वीज़ा आगे बढ़ सके और हमें संकटग्रस्त अफगानिस्तान न लौटना पड़े. इस पिटीशन पर अब तक 40,000 से अधिक लोगों ने हमारे समर्थन में हस्ताक्षर किए हैं.’More Related News