मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र को मांग से अधिक पर दिल्ली को कम ऑक्सीजन क्यों : अदालत ने पूछा
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से पूछा कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को मांग से ज्यादा ऑक्सीजन क्यों मिल रही है जबकि राष्ट्रीय राजधानी को कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए आवश्यक मात्रा में भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है?
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से पूछा कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को मांग से ज्यादा ऑक्सीजन क्यों मिल रही है जबकि राष्ट्रीय राजधानी को कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए आवश्यक मात्रा में भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है? न्यायमू्र्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि इसका यह मतलब नहीं है कि अदालत दिल्ली को अधिक ऑक्सीजन दिलाना चाहती है और यह भी कि अन्य राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के लिए आवंटित कोटे की कीमत पर दिल्ली को ऑक्सीजन आंवटित हो. दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी को प्रतिदिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है जबकि उसे 480 और 490 मीट्रिक टन ही आवंटित किया गया है और केंद्र ने इसे बढ़ाया भी नहीं है. मेहरा और वरिष्ठ अधिवक्ता राज शेखर राव ने अदालत को सूचित किया कि राष्ट्रीय आवंटन योजना के अनुसार महाराष्ट्र को प्रतिदिन 1500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है जबकि उसे 1661 मीट्रिक टन आवंटित किया गया है. इसी तरह मध्य प्रदेश ने 445 मीट्रिक टन की मांग की थी लेकिन उसे 543 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिया गया. इसी तरह कई अन्य राज्यों के साथ भी यही स्थिति है. वरिष्ठ अधिवक्ता राज शेखर राव मामले में न्यायमित्र हैं.More Related News