
भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक जहाज विक्रांत का परीक्षण, इस समुद्री मार्ग की करेगा निगरानी
Zee News
भारत अब उन चुनिंदा मुल्कों में शुमार हो गया है, जिसके पास स्वदेश में डिजाइन करने और जदीद विमानवाहक जहाज तैयार करने की खास सलाहियत है.
नई दिल्लीः हिन्दुस्तान के पहले मुल्क में बने विमानवाहक जहाज ‘विक्रांत’ का समुद्र में टेस्ट बुध को शुरू हो गया. यह देश में निर्मित सबसे बड़ा और विशालकाय युद्धपोत है. भारतीय नौसेना ने इस मौके को मुल्क के लिए ‘‘फख्र करने वाला और तारीखी’’ दिन बताया और कहा कि इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा मुल्कों में शुमार हो गया है, जिसके पास स्वदेश में डिजाइन करने, निर्माण करने और जदीद विमानवाहक जहाज तैयार करने की खास सलाहियत है. भारतीय नौसेना, हिंद महासागर क्षेत्र में सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की चीन की बढ़ती कोशिशों के मद्देनजर अपनी संपूर्ण क्षमता महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने पर जोर दे रही है. हिंद महासागर, देश के रणनीतिक हितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.जून में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विमानवाहक जहाज के निर्माण की समीक्षा की थी. 30 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं इसपर विक्रांत का वजन 40,000 टन है और यह पहली बार समुद्र में परीक्षण के लिए तैयार है. यह विमानवाहक जहाज करीब 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चैड़ा है और इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने निर्मित किया है. इस जहाज पर 30 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं. युद्धपोत पर मिग-29के लड़ाकू विमानों और केए-31 हेलीकॉप्टरों का एक बेड़ा होगा. 23,000 करोड़ रुपये र्की आइ है लागत गौरतलब है कि इसी नाम के एक जहाज ने 50 साल पहले 1971 की जंग में अहम किरदार निभाया था. इस विमानवाहक जहाज को, इसके विमानन परीक्षण पूरे करने के बाद, अगले साल की दूसरी छमाही में भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है. इसे करीब 23,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है.
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Indian Navy History: भारत में समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में नेवी बड़ी भूमिका निभाती है. आज के समय में भारतीय नौसेना दुनिया की सबसे ताकतवर नौसेनाओं में से एक है. देश की सुरक्षा में आज कत कई ऐसे मिशन हुए हैं, जिनमें इंडियन नेवी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंडियन नेवी की स्थापना कब हुई थी?

Three new military bases: सिलिगुड़ी कॉरिडोर जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है. अब पूरी तरह एक मजबूत रणनीतिक किले में बदलने जा रहा है. सिर्फ 22 किलोमीटर चौड़ा यह इलाका उत्तर-पूर्वी भारत को देश के बाकी हिस्से से जोड़ता है. इसलिए इसकी सुरक्षा भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता है. इसी वजह से यहां तीन नए सैन्य स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं. जो भारत की रणनीति में बड़े बदलाव का संकेत हैं.

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