
भारतीय उद्योगों को ‘हनुमानत्व’ पहचानने के लिए राम के नाम पर सरकार चलाने वालों की ज़रूरत है
The Wire
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निवेश के लिए प्रोत्साहित करते हुए भारतीय उद्योगों से 'हनुमान' की तरह उनकी ताक़त पहचानने की बात कही है. कारोबार अपनी क्षमता बढ़ा भी लें, पर भारतीय उपभोक्ता की आय नहीं बढ़ रही है और खपत आधारित वृद्धि अब तक के सबसे निचले स्तर पर है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते भारतीय उद्योग की तुलना हनुमान से की. वो हनुमान जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें अक्सर अपनी ताकत का अंदाज़ा नहीं होता है. उन्होंने सवाल किया कि जब विदेशी निवेशक भारत में भरोसा जता रहे हैं तो भारतीय उद्योग निवेश करने से क्यों हिचकिचा रहे हैं.
सीतारमण ने कहा, ‘क्या यह हनुमान की तरह है? आपको अपनी क्षमता, अपनी ताकत पर यकीन नहीं है और आपके पास खड़े होकर कोई यह कहने वाला हो कि आप हनुमान हैं, इसको कीजिए? कौन है जो हनुमान को यह बताने वाला है? निश्चित रूप से ऐसा करने वाली सरकार तो नहीं है.’
उनका आह्वान केवल यह साबित करता है कि भारत निजी निवेश का अकाल बना हुआ है, जो 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ शुरू हुआ था. एक दशक से अधिक समय से निजी निवेश में बढ़ोतरी का अभाव मोदीनॉमिक्स की अविश्वसनीय उपलब्धि है! सीतारमण केवल लंबे समय से चली आ रही एक चिंता को दोहरा रही हैं.
उन्होंने 2019 में वित्त मंत्री के रूप में पदभार संभाला और निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत घोषणाएं कीं. सितंबर 2019 में बड़े पैमाने पर कॉरपोरेट टैक्स में कटौती, जिसमें नए निवेश के लिए सिर्फ 15% शामिल हैं, ने भारत को सबसे कम कर वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना दिया, लेकिन इसने महत्वपूर्ण नए निवेशों को आकर्षित नहीं किया.
