ब्रिगेडियर उस्मान: 'नौशेरा का शेर' जिस पर पाकिस्तान ने रखा था 50,000 का इनाम
BBC
कश्मीर में भारत को अहम जीत दिलाने वाले महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान पर बीबीसी हिंदी की विशेष पेशकश.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष भारतीय सेना के जवानों के साथ दिवाली मनाने जम्मू के नौशेरा गए हैं. वहाँ उन्होंने 1948 की भारत-पाकिस्तान जंग के हीरो रहे ब्रिगेडियर उस्मान को भी याद किया. पढ़िए ब्रिगेडियार उस्मान पर बीबीसी पर पहले प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट.
भारत के कई सैन्य इतिहासकारों की राय है कि अगर ब्रिगेडियर उस्मान की समय से पहले मौत न हो गई होती तो वो शायद भारत के पहले मुस्लिम थल सेनाध्यक्ष होते.
एक कहावत है कि ईश्वर जिसे चाहता है उसे जल्दी अपने पास बुला लेता है. बहादुरों की बहुत कम लंबी आयु होती है. ब्रिगेडियर उस्मान के साथ भी ऐसा ही था.
जब उन्होंने अपने देश के लिए अपनी जान दी तो उनके 36वें जन्मदिन में 12 दिन बाकी थे. लेकिन अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने वो सब हासिल कर लिया जिसको बहुत से लोग उनसे दोहरा जी कर भी नहीं पा पाते हैं.
वो शायद अकेले भारतीय सैनिक थे जिनके सिर पर पाकिस्तान ने 50,000 रुपए का ईनाम रखा था जो उस ज़माने में बहुत बड़ी रक़म हुआ करती थी. 1948 में नौशेरा का लड़ाई के बाद उन्हें 'नौशेरा का शेर' कहा जाने लगा था.