बुलिंग से परेशान 10वीं के छात्र ने 15वीं मंज़िल से कूदकर दी जान, मां ने स्कूल पर लगाए ये गंभीर आरोप
ABP News
फरीदाबाद की डिस्कवरी सोसाइटी की 15वीं मंजिल से कूदकर डीपीएस के छात्र आरवी मल्होत्रा ने जान दे दी. घटना गुरुवार रात की है. आरवी ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है.
ग्रेटर फरीदाबाद के सेक्टर 81 स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल के दसवीं कक्षा के छात्र ने बुलिंग से परेशान होकर आत्महत्या कर ली. छात्र अपनी मां के साथ डिस्कवरी सोसाइटी में रहता था. उसी सोसाइटी की 15वीं मंजिल से कूद कर छात्र ने जान दी है. छात्र की मां आरती मल्होत्रा भी उसी स्कूल में टीचर हैं. छात्र की मां ने स्कूल प्रशासन पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं, खासतौर से स्कूल की सीनियर कोऑर्डिनेटर एडमिनिस्ट्रेशन ममता गुप्ता पर आरोप लगाए हैं. आरोप ये भी है कि पीड़ित छात्र के साथ सेक्सुअल हैरासमेंट भी किया गया था. स्कूल प्रशासन ने इस घटना पर दुख जताते हुए अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया है.
छात्र की मां आरती मल्होत्रा ने बताया, "यह घटना गुरुवार रात लगभग 9 से 9:30 बजे के बीच की है. मैं अपने माता-पिता के घर गई हुई थी. मुझे मेरे ही पड़ोस में रहने वाले किसी व्यक्ति का फोन आया. उन्होंने कहा कि आप जल्दी से जल्दी आ जाइए आरवी को कुछ हो गया है. मैं जल्दी आई तो मुझे पता चला कि मेरे बेटे ने इसी सोसाइटी की 15वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी है. वह बहुत परेशान था. उसे स्कूल में कई सालों से बुली किया जा रहा था. इतना ही नहीं कुछ लड़कों ने स्कूल के वॉशरूम में उसके साथ सेक्सुअल हरासमेंट भी किया था. इन सब की वजह से वह डिप्रेशन का शिकार हो गया था और उसका ट्रीटमेंट भी चल रहा था. मैं भी उसी स्कूल में टीचर हूं. कई बार मैंने स्कूल प्रिंसिपल और हेडमिस्ट्रेस को इस बारे में शिकायत भी की, लेकिन हमारी कोई बात नहीं सुनी हुई गई. आरवी इस बात से परेशान आ चुका था. जब भी वह अपनी आपबीती किसी टीचर से कहता तो उसकी बात को सुना नहीं जाता था. वह जीना चाहता था और उसके लिए वह प्रयास भी कर रहा था. उसका ट्रीटमेंट भी चल रहा था और उसे फायदा भी हो रहा था. लेकिन स्कूल मैनेजमेंट ने और स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने उसे जीने नहीं दिया. उसे इतना परेशान कर दिया कि उसने आत्महत्या कर ली. वह रोता भी था. मैं और मेरा बेटा हम दोनों ही यहां पर रहते थे. हम दोनों बहन भाई की तरह थे. मैंने पिछले साल सितंबर में और मार्च में ई-मेल से स्कूल प्रिंसिपल को शिकायत भी की थी, लेकिन उस शिकायत पर भी कुछ नहीं हुआ. जिन लड़कों के नाम मैंने बताए थे. उनके लिए स्कूल ने कहा कि उनमें से कुछ तो स्कूल छोड़ चुके हैं. ऐसा कैसे हो सकता है. कोई बीच सेशन में स्कूल कैसे छोड़ सकता है. स्कूल अपने नाम को बचाने के लिए मेरे बेटे की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करता रहा और उसी का नतीजा रहा कि मेरे बेटे ने आत्महत्या कर ली. वह 10वीं क्लास में था और अब उसके एग्जाम भी होने वाले थे. वह जीना चाहता था. अब मुझे न्याय चाहिए. देखना है कि पुलिस इस मामले में मेरे बेटे को न्याय दिला पाती है या नहीं. मेरी जिंदगी भी अब पुलिस की जांच पर निर्भर करती है."