
बार-बार की चेतावनियों पर सरकार की उदासीनता जोशीमठ संकट की जड़: पर्यावरणविद
The Wire
चिपको आंदोलन संबद्ध रहे रेमन मैग्सेसे, पद्म भूषण और गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरणवादी चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि जोशीमठ में गुप्त ख़तरों की चेतावनी दो दशक पहले राज्य सरकार को दी गई थी. एक के बाद एक अध्ययन तब तक मदद नहीं करेगा, जब तक कि सरकारें सुझावों पर कार्रवाई शुरू नहीं करतीं.
गोपेश्वर/नई दिल्ली: पर्यावरणवादी चंडी प्रसाद भट्ट ने सोमवार को कहा कि भूगर्भीय कारकों के अलावा जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में संभावित खतरों के बारे में विशेषज्ञों द्वारा दी गईं चेतावनियों पर कार्रवाई करने में क्रमिक सरकारों की विफलता भूमि धंसने के संकट का एक प्रमुख कारण है.
‘चिपको आंदोलन’ से संबद्ध रहे भट्ट ने कहा कि दरकते शहर में संकट से जुड़ी स्थिति की उपग्रह तस्वीरों की मदद से वैज्ञानिक अध्ययन के लिए राज्य सरकार द्वारा एक और प्रयास किया गया है.
उन्होंने कहा कि हालांकि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हिमालय के एक विस्तृत क्षेत्र मानचित्रण और जोशीमठ में गुप्त खतरों की चेतावनी दो दशक पहले राज्य सरकार को दी गई थी.
भट्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेंसी (एनआरएसए) सहित देश के लगभग 12 प्रमुख वैज्ञानिक संगठनों द्वारा सुदूर संवेदन और भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) का उपयोग करके किए गए अध्ययन को 2001 में राज्य सरकार को प्रस्तुत किया गया था.
