बंद हो गए जब झूठ के सारे दरवाज़े, दोष राज्यों पर मढ़ चले प्रधानमंत्री
NDTV India
ईमानदारी की नहीं. टीके को लेकर शुरू से झूठ बोला गया. बिना टीके के आर्डर के दुनिया का सबसे बड़ा टीका अभियान बताया गया. जब झूठ के सारे दरवाज़े बंद हो गए, तब प्रधानमंत्री ने भाषण के पतले दरवाज़े से अपने लिए निकलने का रास्ता बना लिया.
सात जून के राष्ट्र के नाम संबोधन को सुनते हुए लिखना चाहिए. लिखने के बाद ध्यान से पढ़ना चाहिए. तब पता चलेगा कि इतने लोगों के नरसंहार के बाद कोई नेता किस तरह की कारीगरी करता है. कैसे वह ख़ुद को अपनी सभी जवाबदेहियों से मुक्त करता हुए, दूसरों पर दोष डाल कर जनता को एक भाषण पकड़ा जाता है. यह भाषण ठीक वैसा ही है. एक लाइन की बात कहने के लिए दाएं-बाएं की बातों से भूमिका बांधी गई है. नीति, नीयत, नतीजे और न जाने 'न' से कितने शब्दों को मिलाकर वाक्य बना लेने से 'ज' से जवाबदेही ख़त्म नहीं हो जाती.More Related News