
बंगाल और मरकजी हुकूमत के बीच नाक की लड़ाई बन गई है चीफ सेक्रेटरी अलपन बंदोपाध्याय के डिप्यूटेशन का मामला
Zee News
31 मई को रिटायर होने वाले 1987 बैच के आईएएस अफसर अलपन बंदोपाध्याय को केंद्र सरकार ने 31 मई को ही केंद्र सरकार में अपनी खिदमत पेश करने का हुक्म जारी किया था लेकिन ममता बनर्जी ने अलपन को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए रिलीव करने से इंकार कर दिया
नई दिल्ली. मरकजी हुकूमत का पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का हुक्म और उन्हें राज्य सरकार के जरिए रिलीव न करने का विवाद अब केंद्र-राज्य टकराव की तरफ बढ़ता दिख रहा है. गौरतलब है कि 1987 बैच के आईएएस अफसर अलपन बंदोपाध्याय 31 मई को रिटायर होने वाले थे लेकिन रियासती हुकूमत ने उन्हें तीन महीने का सेवा विस्तार दिया है. उधर, केंद्र सरकार ने उन्हें सोमवार 31 मई को ही रिपोर्ट करने और मरकजी सरकार में अपनी खिदमत देने के लिए हुक्म जारी किया था. लेकिन मगरिबी बंगाल की वजीर-ए-आला ममता बनर्जी ने वजीर-ए-आजम नरेंद्र मोदी को पांच पेज की लंबी चिट्ठी लिखकर साफ तौर पर कहा है कि रियासत के चीफ सेक्रेटरी अलपन बंदोपाध्याय को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए वह रिलीव नहीं करेंगी. कब से शुरू हुआ यह तनाज़ा मगरिबी बंगाल सरकार ने 25 मई को, केंद्र की 24 मई की एक मंजूरी का हवाला देते हुए एक हुक्म जारी किया कि सार्वजनिक सेवा के हित में, बंदोपाध्याय की खिदमत को तीन महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है. लेकिन, 28 मई को केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने बंगाल के मुख्य सचिव को लिखा कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने बंदोपाध्याय की सेवाओं को तत्काल प्रभाव से मरकजी सरकार के साथ ट्रांसफर किया है और रियासती हुकूमत से अपील की है कि अफसर को फौरन उनकी जिम्मेदारियों से बरी किया जाए. डीओपीटी ने मुख्य सचिव को 31 मई को सुबह 10 बजे तक दिल्ली रिपोर्ट करने का निर्देश भी दिया था
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