पेट्रोल में क्यों लगी आग-कॉरपोरेट को राहत की भरपाई आम आदमी से कर रही सरकार?
The Quint
petrol price hike: पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इस समय आग लगी हुई है. देश के ज्यादातर राज्यों में पेट्रोल 100 रुपए लीटर से ज्यादा पर बिक रहा है, why petrol and disel prices on rise, selling at 100 rs per litre in many places
पेट्रोल और डीजल की कीमतों (Petrol Diesel Prices) में इस समय आग लगी हुई है. देश के ज्यादातर राज्यों में पेट्रोल 100 रुपए लीटर से ज्यादा पर बिक रहा है.इसकी दो मुख्य वजहें हैं. पहला, पिछले एक साल से तेल की कीमतें (oil prices) बढ़ी हुई हैं. दूसरा, बीते एक साल में पेट्रोल और डीजल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी (excise duty) में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. आइए इनके कारणों को विस्तार से समझते हैं.जुलाई 2020 में कच्चे तेल की भारतीय बास्केट की कीमत औसत 43.35 USD प्रति बैरल थी. 14 जुलाई 2021 को यह कीमत बढ़कर 75.26 USD प्रति बैरल हो गई. भारत जितने तेल का इस्तेमाल करता है, उसके चार बटे पांच हिस्से का आयात करता है. इसलिए अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी तो पेट्रोल और डीजल की रीटेल कीमतें भी बढ़ जाएंगी.पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी क्यों हो रही है मई 2020 की शुरुआत में पेट्रोल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी 22.98 रुपए प्रति लीटर से बढ़कर 32.98 रुपए प्रति लीटर हो गई. डीजल के मामले में भी यही हुआ. डीजल पर एक्साइज ड्यूटी पहले 18.83 रुपए प्रति लीटर थी, जोकि बढ़कर 31.83 रुपए प्रति लीटर हो गई. इस साल 2 फरवरी से पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी मामूली गिरावट के साथ क्रमशः 32.90 प्रति लीटर और 31.80 रुपए प्रति लीटर हो गई है.इससे पेट्रोल और डीजल की रीटेल कीमतों में तेजी आई है.ADVERTISEMENTकेंद्रीय स्तर पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी के साथ विभिन्न राज्य सरकारें पेट्रोल और डीजल पर वैट या सेल्स टैक्स भी लगाती हैं (राज्यों में अलग-अलग शब्द का इस्तेमाल किया जाता है). हर राज्य में इनकी दर अलग-अलग है और इससे भी पेट्रोल और ईंधन की रीटेल कीमतें बढ़ती हैं.आइए नीचे दिया गया चार्ट देखें. इसमें दिखाया गया है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान केंद्र और राज्य सरकारें पेट्रोलियम उत्पादों (मुख्य रूप से पेट्रोल और डीजल) पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और वैल्यू एडेड टैक्स (वैट)/सेल्स टैक्स लगाकर कितनी कमाई करती हैं.पेट्रोल और डीजल पर बढ़ते केंद्रीय करस्रोत: पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल2014-15 में यह 99,068 करोड़ रुपए था जिसमें 2020-21 में उछाल आया और यह 3,71,726 करोड़ रुपए हो गया. 2019-20 और 2020-21 के बीच इसने करीब 67% की छलांग लगाई. ऐसा कोविड महामारी के बीच हुआ. इसी अवधि में पेट्रोलियम उत्पादों पर राज्य सरकार का सेल्स टैक्स/वैट 1,37,157 करोड़ रुपए से बढ...More Related News