पेगासस जासूसी और भारतीय लोकतंत्र के इम्तिहान की घड़ी
The Wire
जब सरकारें यह दिखावा करती हैं कि वे बड़े पैमाने पर हो रही ग़ैर क़ानूनी हैकिंग के बारे में कुछ नहीं जानती हैं, तब वे वास्तव में लोकतंत्र की हैकिंग कर रही होती हैं. इसे रोकने के लिए एक एंटीवायरस की सख़्त ज़रूरत होती है. हमें लगातार बोलते रहना होगा और अपनी आवाज़ सरकारों को सुनानी होगी.
इस कहानी की शुरुआत तब हुई जब फॉरबिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी टेक्नोलॉजी लैब को एक डेटाबेस में 50,000 फोन नंबर हासिल हुए. उन्होंने नामों को सत्यापित करने और मुमकिन हो सके, तो फोन में पेगासस की मौजूदगी की जांच करने के लिए संदिग्ध फोन के सिस्टम इमेजेज़ भेजने के लिए 16 देशों में मीडिया से संपर्क किया. (एमनेस्टी लैब ने यहां इसके तकनीकी पक्ष को समझाया है) सामान्य तौर पर, जो समझ में आने वाली बात भी है, ज्यादातर नागरिक ऐसे किसी टेस्ट के लिए खुद सुपर्द करते हुए हुए हिचकिचाएंगे, जैसा कि मैं था. लेकिन एक व्यापक हित के लिए मेरे सहकर्मी सिद्धार्थ वरदराजन और मैंने अपने फोन के डिटिजल इमेजेज़ परीक्षण के लिए भेज दिए. उसके बाद, जैसा कि कहा जाता है, जो हुआ वह एक इतिहास है. ऐसा लगता है कि मीडियाकर्मियों को, जबकि तानाशाही सरकारों को उन्हें चुप करा सकने का गुमान हो गया है, एक असाधारण बोझ उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्नत टेक्नोलॉजी ने उच्च स्तर की निगरानी को मुमकिन बना दिया है. लेकिन अभी, जबकि मानवाधिकार समूह खुद को सर्विलांस/जासूसी का पता लगाने, उसे समझने और उसे रोकने के हथियारों से खुद को लैस कर रहे हैं, हमारे पास एक मौका है. सरकारें बगैर प्रतिरोध के लोगों की जासूसी करना जारी नहीं रख सकती हैं. हमें इस सूची में आए विभिन्न देशों के नागरिकों को इस प्रक्रिया में मदद करने और अपने फोन की जांच करवाने के लिए आगे आने के लिए कहना चाहिए.More Related News