पूर्व जजों ने कहा- यूएपीए और राजद्रोह क़ानून को जल्द से जल्द ख़त्म करने की ज़रूरत
The Wire
सुप्रीम कोर्ट के चार पूर्व न्यायाधीशों ने कहा है कि आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की मौत एक उदाहरण है कि देश में आतंकवाद रोधी क़ानून का किस तरह दुरुपयोग किया जा रहा है. यूएपीए की असंवैधानिक व्याख्या संविधान के तहत दिए गए जीवन के मौलिक अधिकार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और त्वरित सुनवाई के अधिकार को ख़त्म करता है.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के चार पूर्व न्यायाधीशों जस्टिस आफताब आलम, जस्टिस मदन बी. लोकुर, जस्टिस गोपाल गौड़ा और जस्टिस दीपक गुप्ता ने शनिवार को देश में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और राजद्रोह कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि अब इन्हें खत्म करने का समय आ गया है. इन पूर्व जजों का यह बयान पिछले साल एल्गार परिषद मामले में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ता स्टेन स्वामी के हिरासत में हुए निधन के बाद आया है. मेडिकल आधार पर जमानत का इंतजार करते हुए बीते पांच जुलाई को न्यायिक हिरासत में स्टेन स्वामी का निधन हो गया था. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दरअसल एक एनजीओ ‘कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स’ (सीजेएआर) द्वारा आयोजित ऑनलाइन सार्वजनिक चर्चा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व जजों ने सर्वसम्मति से कहा कि आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की मौत एक उदाहरण है कि देश में आतंकवाद रोधी कानून का किस तरह दुरुपयोग किया जा रहा है.More Related News