पीयूष तिवारी: एक शख्स के संकल्प के कारण संसद को बनाना पड़ा सड़क हादसों पर कानून
The Quint
Road Accidents In India: एक सड़क हादसे में अपने कजिन को खोने के बाद, पीयूष तिवारी ने गुड सैमेरिटन कानून के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. How Piyush Tewari fought for Good Samaritan Law, after he lost his cousin to a road accident.
अप्रैल 2007 में पीयूष तिवारी की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई. वो आम दिन की तरह दफ्तर से काम कर घर लौट रहे थे जब उनके पिता ने उन्हें फोन कर बताया कि उनके कजिन को स्कूल से लौटने के दौरान एक गाड़ी ने टक्कर मार दी है. कुछ लोग इस हादसे के चश्मदीद थे और कुछ लोगों ने खून से लथपथ एक लड़के को सड़क किनारे लोगों से मदद मांगते देखा था, लेकिन किसी ने भी पुलिस को सूचना नहीं दी, एंबुलेंस को नहीं बुलाया या उसे अस्पताल पहुंचाया. 5 अप्रैल को 16 साल के लड़के ने अपने 16वें जन्मदिन के दिन ही दम तोड़ दिया.ADVERTISEMENTइसके बाद पीयूष ने धौला कुआं के करीब अपनी कार रोकी — वो इतने घबराए हुए थे कि कार चलाने की हालत में नहीं थे — और ऑटो लेकर घर पहुंचे. उसी रात वो बिना किसी रिजर्वेशन के ट्रेन से कानपुर रवाना हो गए जहां हादसा हुआ था और अगले दिन जब वो घटना स्थल पर पहुंचे तो उन्हें इस बारे में और जानकारियां मिली. उनके कजिन को गलत दिशा से आ रही एक जीप ने टक्कर मारी थी और लड़के को ठोकर मारने के कारण डरे हुए ड्राइवर ने भागने की कोशिश में एक बार और जीप लड़के पर चढ़ा दी थी. इससे लड़के को गंभीर चोटें आई थी. किसी तरह लड़का खुद को घसीटते हुए सड़क के किनारे आया और एक पेड़ के सहारे खड़ा होकर आने-जाने वाले लोगों से मदद की गुहार लगा रहा था.सफेद शर्ट, नीली पैंट पहने और काले जूते के साथ स्कूलबैग लटकाए, जिसने भी उसे इस हालत में देखा उन्हें इस बात पर कोई शक नहीं था कि वो स्कूल जाने वाला एक बच्चा है. कुछ लोगों ने उसे बेहोश होने से रोकने के लिए उस पर पानी के छींटे मारे और वहां से गुजरने वाले कुछ लोगों ने उसे पानी पिलाने की कोशिश भी की, लेकिन किसी ने भी मदद नहीं बुलाई या उसे अस्पताल ले गए. 40-45 मिनट तक लगातार खून बहने के बाद उसकी मौत हो गई.कानूनी पचड़ों के डर ने लोगों को मदद करने से रोकाये घटना इतनी भयावह थी और कजिन से उनका रिश्ता इतना करीबी था कि पीयूष इस हादसे से उबर नहीं पा रहे थे. उनके पास कई सवाल थे जिनके जवाब जरूरी थे. उन्होंने नौकरी से कुछ दिनों की छुट्टी ली और लोगों से मिलना शुरू किया — ट्रैफिक सिपाही सहित पुलिसवाले, ट्रॉमा केयर डॉक्टरों, नौकरशाहों, आपातकालीन सेवा से जुड़े लोगों, कानून निर्माताओं — कोई भी व्यक्ति जो कुछ जवाब ढूंढने में उनकी कुछ मदद कर सके. विडंबना ये थी कि जब उनका कजिन सिर...