
पीएम मोदी के फैसले ने बदली मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी, जानें तीन तलाक कानून से क्या बदलाव आए?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के प्रशासन में 20 साल पूरे होने पर आज हम आपको बताते हैं कि ट्रिपल तलाक (Triple Talaq) के खिलाफ कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं की जिदंगी में क्या बदलाव आए हैं?
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के प्रशासन में 20 साल पूरे होने पर विशेष सीरीज के तहत हम आपको उनके द्वारा उठाए गए बड़े कदमों के बारे में बता रहे हैं. आज हम आपको बताते हैं कि ट्रिपल तलाक (Triple Talaq) के खिलाफ कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं की जिदंगी में क्या बदलाव आए हैं? दो साल पहले, साल 2019 में ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बना था. इस कानून की बदौलत भारत की 8 करोड़ मुस्लिम महिलाओं को ये अधिकार मिला कि वो मजहब के नाम पर ट्रिपल तलाक जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ सकती हैं. भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक कानून बनने के बाद से अब तक देश में ट्रिपल तलाक के मामले 80 प्रतिशत तक कम हुए हैं.
साल 1985 से जुलाई 2019 तक यानी कानून बनने से पहले तक उत्तर प्रदेश में इसके 63 हजार 400 मामले थे, लेकिन कानून बन जाने के बाद एक साल में सिर्फ 281 मामले ही दर्ज हुए हैं. इसी तरह बिहार में भी इस समय अवधि में 38 हजार 617 केस थे, लेकिन कानून बनने के बाद सिर्फ 49 मामले सामने आए. हरियाणा में 2019 तक ट्रिपल तलाक के 38 हजार 617 मामले थे, लेकिन कानून बनने के बाद एक साल में 26 मामले ही दर्ज हुए. इसी तरह राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों में भी ऐसे मामले बहुत कम हुए हैं. जिसका मतलब ये है कि ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून का असर मुस्लिम समाज में हुआ है और जो महिलाएं कल तक पति से तीन तलाक मिलने के बाद चाहकर भी विरोध दर्ज नहीं कर पाती थीं, वो अब उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा रही हैं.

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