
पाकिस्तान: इमरान ख़ान क्या आसिफ़ अली ज़रदारी फ़ॉर्मूले से बचा सकते हैं अपनी सरकार
BBC
बेनज़ीर भुट्टो की हत्या के बाद पाकिस्तान के प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की बागडोर अचानक संभालने वाले आसिफ़ अली ज़रदारी के राजनीतिक पैंतरों का हर कोई क़ायल है.
बेनज़ीर भुट्टो की हत्या के बाद पाकिस्तान के प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की बागडोर अचानक संभालने वाले आसिफ़ अली ज़रदारी के राजनीतिक पैंतरों का हर कोई क़ायल है.
वो घी चाहे सीधी ऊंगली से निकालें या टेढ़ी उंगली से, उनकी राजनीतिक चाल अक़सर सफल रही है. लोग भले ही उनकी राजनीति के समर्थक न हों लेकिन अक़सर उनकी रणनीति की सराहना करते हैं.
साल 2008 के आम चुनाव में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की जीत के बाद, उन्होंने ज़्यादातर राजनीतिक पंडितों को ग़लत साबित करते हुए, प्रधानमंत्री के बजाय अपने लिए राष्ट्रपति पद का चुनाव किया.
बीबीसी वर्ल्ड के पूर्व संवाददाता ओवेन बेनेट जोन्स और मुझे 2010 में राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी के साथ दोपहर का भोजन करने का मौक़ा मिला था. उस दोपहर आसिफ़ अली ज़रदारी से होने वाली वो मुलाक़ात कई मायनों में अलग थी.
पहली बात तो यह कि ये मुलाक़ात राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी के कार्यालय में ही हुई थी. उस समय, यह धारणा थी कि सुरक्षा कारणों से ज़रदारी ने ख़ुद को अपने कार्यालय और उससे सटे एक कमरे तक ही सीमित किया हुआ है.
