पश्चिम बंगाल चुनाव: हरे कृष्ण हरे राम, गोत्र और चंडी पाठ- ममता बनर्जी क्या हिंदू-मुस्लिम राजनीति में फँस चुकी हैं?
BBC
क्या मां-माटी-मानुष के विचार के साथ सत्ता में आयी टीएमसी अब हिंदू-मुस्लिम वाली राजनीति में फँस गई है? पश्चिम बंगाल से बीबीसी की ख़ास रिपोर्ट.
चुनावी पोस्टर और पार्टी झंडों से पटे पश्चिम बंगाल के लिए मौजूदा विधानसभा चुनाव में धार्मिक नारों की राजनीति कुछ नई सी है. राज्य की राजनीति पर नज़र रखने वाले मानते हैं कि जिस आक्रामक तरीक़े से बीजेपी चुनाव में उतरी है, उससे कहीं न कहीं यह चुनाव 'जय श्रीराम' जैसे नारों, हिंदू ध्रुवीकरण और मुस्लिम तुष्टीकरण जैसे मुद्दों के इर्द-गिर्द सिमटकर रह गया है. एक ओर जहाँ बीजेपी राज्य में अपनी हर रैली और हर सभा में 'जय श्री राम' के नारे पर हुए विवाद को मुद्दा बनाकर पेश कर रही है, वहीं टीएमसी भी इससे अछूती नहीं है-पहले चंडी-पाठ, फिर सार्वजनिक मंच से गोत्र बताना और बीते शनिवार को पुरसुरा में हरे-कृष्ण-हरे-हरे का नारा देना. अंतर सिर्फ़ इतना है कि एक ओर जहाँ बीजेपी का लगभग हर नेता अपनी चुनावी रैली में ऐसा कर रहा है, वहीं टीएमसी की ओर से 'धार्मिक नारे' या 'पहचान-विशेष' से जुड़े ज़्यादातर बयान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ही ओर से आए हैं. खिदिरपुर इलाक़े में पान की गुमटी लगाने वाले इमरान कहते हैं, "हमको बहुत दुख है कि दीदी के लिए ऐसा सुनने को मिल रहा है. दीदी माँ-माटी-मानुष वाली हैं. उसके लिए तो ऐसा बोलना भी नहीं है. ये सब बाहरी लोगों का प्रयास है कि बंगाल में हिंदू-मुस्लिम को अलग कर दो. दीदी तो बता रही है कि वो सबकी है."More Related News