पत्थरबाजी छोड़ युवाओं ने पकड़ी रोजगार की राह, जानें 370 हटने के बाद कितना बदला कश्मीर
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कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के दो साल पूरे होने वाले हैं. ऐसे में दो साल में कश्मीर और यहां के लोगों के जीवन में क्या बदलाव आए हैं आइए जानते हैं इस ग्राउंड रिपोर्ट में...
शोपियां: शोपियां का इतिहास बहुत कुख्यात रहा है, पिछले कई सालों से जिन कारणों से कश्मीर का ये जिला चर्चा में रहा उनमें पत्थरबाजी सबसे अहम थी. धारा 370 हटने से पहले शोपियां ज्यादातर समय गलत कारणों से चर्चा में रहता था, कश्मीर में जब भी अशांति शुरू होती, इसका केंद्र साउथ कश्मीर का शोपियां होता. 1989 के दौर में हर दिन यहां 55-60 हैंड ग्रेनेड फेंके जाते थे. शोपियां को आतंकवाद का गढ़ माना जाता था. लेकिन इसके पीछे के कारण क्या थे?Swati Maliwal: आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल ने गुरुवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया दी, जिनमें दावा किया गया था कि पार्टी चाहती थी कि वह अपनी राज्यसभा सदस्यता छोड़ दे ताकि उसे एक 'विशेष वकील' को दिया जा सके. इस पर उन्होंने कहा, अगर पार्टी चाहती कि वह राज्यसभा सदस्यता छोड़ दें तो वह खुशी-खुशी इसे छोड़ देतीं.
Pune Porsche Crash: पुणे के पोर्श कार हादसे मामले में ट्विस्ट आया है. अब 17 साल के नाबालिग आरोपी ने दावा किया है कि घटना के समय वह कार नहीं चला रहा था बल्कि फैमिली ड्राइवर चला रहा था. हादसे के समय आरोपी के साथ मौजूद उसके साथियों ने भी इस दावे का समर्थन किया है. वहीं महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की नेता सुप्रिया सुले और शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने दावा किया कि आरोपी को पुलिस स्टेशन में पिज्जा की पेशकश की गई.
West Bengal Violence: पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के छठे चरण के मतदान से पहले नंदीग्राम में बुधवार की रात हिंसा भड़क उठी. इससे राज्य की सियासत गरमा गई है. यह घटना पूर्वी मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम विधानसभा के ब्लॉक नंबर एक के सोनचूरा गांव के मनसा बाजार की है. बताया जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने कई भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों में घुसकर धारदार हथियारों से हमला किया.
Agnipath Scheme: अग्निपथ योजना में बदलाव हो सकते हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेना एक आंतरिक सर्वे करा रही है. इस सर्वे में सामने आने वाले निष्कर्षों को देखते हुए आगे योजना में बदलाव को लेकर सरकार से सिफारिश की जा सकती है. हालांकि अभी इस संबंध में सेना या सरकार की ओर से कोई भी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.