पति और रिश्तेदारों को फंसाने के लिए हो रहा दहेज उत्पीड़न विरोधी कानून का इस्तेमाल- सुप्रीम कोर्ट
ABP News
Supreme Court on 498A: दो जजों की बेंच ने कहा कि पति या ससुराल से नाराज़ पत्नी अक्सर उन्हें परेशान करने की नीयत से उनके खिलाफ केस दर्ज करवा देती है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि दहेज प्रताड़ना से बचाव के लिए कानून में जोड़ी गई आईपीसी की धारा 498A का इस्तेमाल एक हथियार की तरह हो रहा है. यह हथियार पति और उसके रिश्तेदारों पर गुस्सा निकालने के लिए चलाया जाता है. शिकायतकर्ता महिला यह नहीं सोचती कि बेवजह मुकदमे में फंसे लोगों पर उसका क्या असर होगा. इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिहार की एक महिला की तरफ से ससुराल पक्ष के लोगों पर दर्ज कराए गए दहेज उत्पीड़न के मुकदमे को निरस्त कर दिया है. हालांकि, उसके पति पर मुकदमा चलता रहेगा.
मधुबनी की तरन्नुम का निकाह 2017 में पूर्णिया के मोहम्मद इकराम से हुआ था. शादी के कुछ ही महीनों बाद उसने पति और ससुराल वालों पर दहेज प्रताड़ना और मारपीट का आरोप लगाया. तब पूर्णिया के सब डिविज़नल मजिस्ट्रेट ने माना था कि ससुराल वालों पर लगाए गए आरोप सही नहीं लग रहे. उन्होंने मुकदमे से सभी रिश्तेदारों का नाम अलग कर दिया था. हालांकि, तब दोनों पक्षों का आपस में समझौता हो जाने से मामला बंद हो गया.