
पंजाब: चेतावनियों के बावजूद सरकारों ने कौड़ियों के भाव पर कंपनियों को तीन सौ एकड़ ज़मीन दी
The Wire
एक आधिकारिक जांच आयोग ने पाया कि भारती और डेल मोंटे के स्वामित्व वाली फर्म ने लीज़ समझौते का उल्लंघन किया है. इसके अलावा लीज़ को तत्काल रद्द करने की अनुशंसा करने वाली रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
लुधियाना: एक आधिकारिक जांच आयोग ने पाया है कि पंजाब सरकार ने शीर्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों भारती एंटरप्राइजेज और खाद्य क्षेत्र की दिग्गज डेल मोंटे पैसिफिक के स्वामित्व वाली एक फर्म को 300 एकड़ बेशकीमती जमीन बेहद ही कम कीमत पर लीज पर दे दी, जबकि उसके द्वारा लीज समझौते का उल्लंघन किया गया था और ऑडिटर्स ने भी इस पर आपत्ति जताई थी, फिर भी सरकार ने लीज जारी रखी.
अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने 2005 में लुधियाना में जमीन फील्डफ्रेश फ्रूट्स प्राइवेट लिमिटेड को इस उम्मीद में लीज पर दी थी कि फर्म किसानों को ‘अत्याधुनिक कृषि अनुसंधान केंद्र और मॉडल खेती’ में प्रशिक्षित करेगी, जिससे भारतीय किसानों के निर्यात उत्पादन में बढ़ोतरी होगी.
ज़मीन का वर्तमान बाजार मूल्य 600 करोड़ से 1,000 करोड़ रुपये के बीच हो सकता है. इसे 6 लाख रुपये वार्षिक किराए पर 33 वर्षों के लिए लीज पर दिया गया था. किराए में हर चार साल में 5 फीसदी की बढ़ोत्तरी किया जाना प्रस्तावित था.
‘पंजाब राज्य किसान और कृषि श्रमिक आयोग’ को 2017 में बनाया गया था और आवंटित किए गए एवं लीज पर दिए गए भूखंडों के भू-उपयोग की जांच का जिम्मा सौंपा गया था. आयोग ने अपनी जांच में पाया कि कंपनी लीज के प्राथमिक उद्देश्यों (किसानों का कल्याण) पर खरी नहीं उतरी और समझौते का उल्लंघन किया.
