पंजाब के CM चन्नी और सिद्धू के बीच मुलाकात बेनतीजा; सियासी संकट जारी
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महत्वपूर्ण पदों, विभागों के आवंटन और नियुक्तियों से नाखुश सिद्धू ने 28 सितंबर को 71 दिनों तक शीर्ष पर रहने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस फैसले ने राज्य कांग्रेस को गहरे संकट में डाल दिया है, हालांकि, सिद्धू ने कहा कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे.
चंडीगढ़ः पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच गुरुवार को पहली आमने-सामने मुलाकात के बाद भी संकट जारी है. पार्टी के सूत्रों ने बताया कि बैठक दो घंटे से अधिक चली और सिद्धू द्वारा उठाए गए मुद्दों को 4 अक्टूबर को कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा. पंजाब भवन में बैठक के बाद, जहां एआईसीसी पर्यवेक्षक हरीश चैधरी भी मौजूद थे, चन्नी और सिद्धू दोनों मीडिया से बात किए बिना बैठक स्थल से चले गए. मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद सिद्धू ने अपने करीबी विधायक परगट सिंह, राजकुमार वेरका और कुलजीत नागरा के साथ बंद कमरे में बैठक की. एक दिन पहले चन्नी ने कहा था कि उन्होंने सिद्धू से बात की है और उन्हें बातचीत करने और मतभेद, यदि कोई हो, को सुलझाने के लिए आमंत्रित किया है. उन्होंने यहां मीडिया से कहा था, जो कोई भी पार्टी का अध्यक्ष होता है वह परिवार का मुखिया होता है. मैंने उन्हें फोन किया था और कहा था कि पार्टी सर्वोच्च है. मैंने उनसे फोन पर बात की है और उनसे कहा है कि चलो बैठो, बात करो और इस मुद्दे को सुलझाओ.
दागी मंत्रियों और अफसरों को लेकर उठा विवाद गौरतलब है कि ‘दागदार’ अधिकारियों और मंत्रियों की नियुक्ति पर मतभेद को लेकर दो दिन पहले ही सिद्धू ने कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है. चन्नी के साथ बैठक से ठीक पहले सिद्धू ने राज्य के नवनियुक्त पुलिस प्रमुख (पुलिस महानिदेशक, डीजीपी) पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान मामले में दो युवकों को गलत तरीके से फंसाया और बादल परिवार को क्लीन चिट दे दिया.
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