
निखत ज़रीनः ट्विटर पर ट्रेंड करने का था अरमान, आज पूरा देश कर रहा सलाम
BBC
25 साल की निखत ज़रीन ने इस्तांबुल में विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियन बनकर भारत के लिए आनेवाले भविष्य में नई उम्मीदें जगा दी हैं.
निखत ज़रीन पर बात करने से पहले आप सभी के सामने क्रिकेट की एक घटना का ज़िक्र करना चाहता हूं जिसकी समानता आपको महिला बॉक्सिंग में देखने को मिलेगी.
आप सिर्फ एक नज़ारे की कल्पना करें. सचिन तेंदुलकर टेस्ट क्रिकेट में नंबर 4 पर ना सिर्फ भारत के बल्कि दुनिया के सबसे कामयाब टेस्ट बल्लेबाज़ हैं. तेंदुलकर को टेस्ट मैचों में चौथे नंबर पर बल्लेबाज़ी से हटाने के बारें में चयनकर्ता तो क्या कोई फैन भी नहीं सोच सकता था.
और क्या हुआ अगर विराट कोहली के तौर पर एक धुरंधर बल्लेबाज़ ने 2008 से सफेद गेंद की क्रिकेट में तहलका मचाना शुरु कर दिया था और हर कोई इस बात की वकालत कर रहा था कि कोहली को आखिर टेस्ट में मौक़ा क्यों नहीं दिया जा रहा?
इत्तेफाक से 2011 वर्ल्ड कप में जीत के बाद अपने करियर में अपवाद के तौर पर तेंदुलकर ने पहली बार किसी टेस्ट सिरीज़ में नहीं जाने का फ़ैसला किया.
चयनकर्ताओं ने पलक झपकते ही तेंदुलकर के स्वाभाविक उत्तराधिकारी माने जाने वाले कोहली को वेस्टइंडीज़ में खेली जाने वाली टेस्ट सिरीज़ के लिए पहली बार लाल गेंद की क्रिकेट के लिए शामिल कर लिया.
