Primary Country (Mandatory)

Other Country (Optional)

Set News Language for United States

Primary Language (Mandatory)
Other Language[s] (Optional)
No other language available

Set News Language for World

Primary Language (Mandatory)
Other Language(s) (Optional)

Set News Source for United States

Primary Source (Mandatory)
Other Source[s] (Optional)

Set News Source for World

Primary Source (Mandatory)
Other Source(s) (Optional)
  • Countries
    • India
    • United States
    • Qatar
    • Germany
    • China
    • Canada
    • World
  • Categories
    • National
    • International
    • Business
    • Entertainment
    • Sports
    • Special
    • All Categories
  • Available Languages for United States
    • English
  • All Languages
    • English
    • Hindi
    • Arabic
    • German
    • Chinese
    • French
  • Sources
    • India
      • AajTak
      • NDTV India
      • The Hindu
      • India Today
      • Zee News
      • NDTV
      • BBC
      • The Wire
      • News18
      • News 24
      • The Quint
      • ABP News
      • Zee News
      • News 24
    • United States
      • CNN
      • Fox News
      • Al Jazeera
      • CBSN
      • NY Post
      • Voice of America
      • The New York Times
      • HuffPost
      • ABC News
      • Newsy
    • Qatar
      • Al Jazeera
      • Al Arab
      • The Peninsula
      • Gulf Times
      • Al Sharq
      • Qatar Tribune
      • Al Raya
      • Lusail
    • Germany
      • DW
      • ZDF
      • ProSieben
      • RTL
      • n-tv
      • Die Welt
      • Süddeutsche Zeitung
      • Frankfurter Rundschau
    • China
      • China Daily
      • BBC
      • The New York Times
      • Voice of America
      • Beijing Daily
      • The Epoch Times
      • Ta Kung Pao
      • Xinmin Evening News
    • Canada
      • CBC
      • Radio-Canada
      • CTV
      • TVA Nouvelles
      • Le Journal de Montréal
      • Global News
      • BNN Bloomberg
      • Métro
नाम छिपाकर कौन लोग जीते आए हैं और उनकी घुटन को किसने महसूस किया है?

नाम छिपाकर कौन लोग जीते आए हैं और उनकी घुटन को किसने महसूस किया है?

The Wire
Saturday, August 28, 2021 02:21:55 AM UTC

पहचान की अवधारणा खालिस इंसानी ईजाद है. पहचान के लिए ख़ून की नदियां बह जाती हैं. पहचान का प्रश्न आर्थिक प्रश्नों के कहीं ऊपर है. उस पहचान को अगर कोई भूमिगत कर दे, तो उसकी मजबूरी समझी जा सकती है और इससे उसके समाज की स्थिति का अंदाज़ा भी मिलता है.

‘हिमांशु जी, ज़मीनी स्तर पर हालात बहुत बुरे है, मैं उस चूड़ी वाले के नाम बदलकर व्यापार करने की मजबूरी समझ सकता हूं. हमारे यहां फल बेचने एक मुल्लाजी आते थे, लंबा चौड़ा कद, लंबी सफेद दाढ़ी, जालीदार टोपी और एकदम चमकती हुई सफेद सलवार कमीज. जबसे कोरोना काल आया, वो दिखना बंद हो गए. जब कई महीनों तक वो नहीं दिखे तो मैंने दूसरे फल बेचने वालों से उनके बारे में पूछा तो सबने बड़े फ़ख्र से बताया कि एक दिन आया था तो हम सबने और इलाके के लोगों ने उसको धमकाकर भगा दिया कि आज के बाद वो अगर यहां दिखाई दिया तो उसकी खैर नहीं. ‘हमारी मां मुजफ्फरनगर में हमेशा एक बुजुर्ग मुसलमान मनिहार से चूड़ियां पहनती थीं. वह बुजुर्ग मनिहार मेरी मां को अपने हाथ से चूड़ियां पहनाते थे. चूड़ियां पहनने के बाद मेरी मां अपनी साड़ी का आंचल सिर पर लेकर उन बुजुर्ग मुस्लिम मनिहार के पांव छूती थीं. और वह मेरी मां के सिर पर हाथ रखकर कहते थे बेटी तेरा सुहाग सदा बना रहे.’ ‘1991-93 में मैं बर्लिन में था. बर्लिन के पूर्वी हिस्से में कई मोहल्लों में उस समय नवनाज़ियों का तांडव चल रहा था. सरेआम रास्ते पर अगोरे विदेशियों की पिटाई की जा रही थी. मेरा मोहल्ला भी ऐसा ही था. मेरे घर के ठीक पीछे एक वियतनामी युवती को पीटा गया. मैं दहशत में था, शाम को आठ बजे के बाद बाहर नहीं निकलता था. ‘… तस्लीम ने धर्म क्यों छिपाया? इसका जवाब इस देश के तमाम दलितों के पास है. आप अपने से इतर किसी दलित को उसकी पहचान के साथ जीने कहां देते? अपने पास भी उन्हें रहने कब दिया गया? उनके अलग घर, अलग टोले, अलग पुरबे बसाए. अछूत बनाकर काम और बेगार तक सीमित रखा. काम निकला/ बेगार पूरी हुई, दौड़ा दिया उन्हें उनके दक्खिन टोलों की ओर. उनके लिए तुम्हारे घर की देहरी और रसोई किसी लक्ष्मण रेखा से भी अधिक दुर्लंघ्य रही. बात आई गई हो गई, अब से कुछ दिन पहले मेरा अपने एक मित्र के घर जाना हुआ वहां मैने एक रेहड़ी देखी जो एकदम मुल्लाजी की रेहड़ी की तरह थी मगर उसपर बंदा कोई और था. बिना दाढ़ी के मैली-कुचैली पैंट और कमीज़ पहने हुए. जब तक मैं उसे पहचानता वो ही बोल पड़ा, ‘नमस्ते बाउजी’, और मनुहार लगाते स्वर में बोला, ‘बाउजी, यहां लोग मुझे मुन्ना के नाम से जानते हैं.’ हिमांशु कुमार बचपन की याद कर रहे थे. उनकी और उनके मनिहार की. उनकी मां मनिहार से चूड़ियां लिया करती थीं: पारिवारिक गाड़ी थी, पत्नी चलाती थी. मैं या तो पत्नी के साथ निकलता था, अकेले लौटना हो तो टैक्सी लेकर घर आता था और टैक्सी चालक से कहता था कि मैं दरवाज़ा खोलकर अंदर जाऊं उसके बाद ही वह जाए. डर मेरे ख़ून में समा गया था. मैं चिड़चिड़ा हो गया था, मेरा समूचा व्यक्तित्व बदलने लगा था. ‘ शहरों में आपकी दुकानें, फैक्ट्रियां, हॉस्पिटल, होटल सब में महत्त्वपूर्ण काम करने हेतु, योग्यता होने पर भी वे आपकी पहली प्राथमिकता कभी नहीं रहे. गांव से कोई दलित अपना घृणित जातीय कर्म त्याग पढ़ता-लिखता नौकरी करता शहर की ओर आया तो उसे आपके मोहल्ले में किराए पर घर नहीं मिलता, नौकरी नहीं मिलती, धंधा नहीं चलने दिया जाता. नाले के किनारे की झोंपड़पट्टी में रहने से बेहतर उसने जाति छुपाकर तुम्हारी कॉलोनी में किराए पर घर लिया भी तब उसकी मनः स्थिति समझनी हो तो आज से कई दशक पहले मराठी लेखक बाबूराव बागुल की कहानी ‘जब मैंने जाति छुपाई’ पढ़ लेनी चाहिए. यह जाति छुपाना इतना कष्टकारी होता है कि जिसे तुम कभी महसूस नहीं कर सकते. जाति छुपाकर वे लोग अपने ही दफ़्तर के सजातीय लोगों, घर-परिवार और नाते-रिश्तेदारों को अपने तथाकथित उस किराए के घर में बुलाने से झेंपते हैं कि कहीं इस सवर्ण मुहल्ले में उनकी जाति न खुल जाए. नितिन गर्ग ने इस संस्मरण को पढ़कर अपनी यह हाल की याद सुनाई. हिमांशु कुमार की मां के घर मनिहार अपनी पहचान, अपने नाम के साथ न सिर्फ बेख़ौफ़ आ सकते थे बल्कि बाइज्जत भी. जिसके घर आए वे उनकी कद्र करती थीं. अपना मामूली जीवन स्तर सुधारने के चक्कर में वे इतने आत्महीन हो जाते हैं कि अपनी प्रगतिशील विचारधारा और अपने महापुरुषों की तस्वीर व उनसे जुड़े संबोधन दोहराने से भी साफ़ बचते हैं. उस पर भी एक न एक दिन तुम्हारी कागदृष्टि उन्हें ताड़ ही जाती है. ऐसे में संभव हुआ तो उस परिवार का सार्वजनिक अपमान और लिंचिंग तक कर दी गईं, नहीं तो सामाजिक बहिष्कार और अबोलेपन के वे दंश दिए जाते हैं कि बंदा शीघ्र ही अपने डेरा-डांगर उठा, अपनी तथाकथित बिरादरी की अंधेरी और सीलन भरी कोठरियों में जाकर रहने को मजबूर हो जाता है.
Read full story on The Wire
Share this story on:-
More Related News
© 2008 - 2025 Webjosh  |  News Archive  |  Privacy Policy  |  Contact Us