नाबालिग से यौनाचार का पाया गया था दोषी; कोर्ट ने इस यूनिक आधार पर कम कर दी सजा!
Zee News
अदालत ने यह कहकर मुजरिम के जेल की अवधि तीन साल से घटाकर 18 महीने कर दी कि घटना के समय उसकी उम्र लगभग 19 वर्ष थी और वह एक अनपढ़ व्यक्ति है.
नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने आठ साल के बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौनाचार के दोषी एक शख्स की दोषसिद्धि बरकरार रखी है लेकिन उसकी जेल की अवधि यह कहकर तीन साल से घटाकर 18 महीने कर दी कि घटना के समय उसकी उम्र लगभग 19 वर्ष थी और वह एक अनपढ़ व्यक्ति है. दोषी धर्मेंद्र ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के मई 2019 के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उसे धारा 377 (अप्राकृतिक यौन अपराध) के तहत दोषी ठहराया गया था, जिसमें तीन साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी और पीड़ित को 50,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था.
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के फैसले को दी थी चुनौती फैसले को बरकरार रखते हुए, प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा कि नाबालिग पीड़िता की गवाही वास्तविक थी और इसका कोई सबूत नहीं है कि बच्चे को सिखाया गया था या उसका उस व्यक्ति को झूठा फंसाने का कोई मकसद था. न्यायाधीश ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जहां दोषी ने नाबालिग लड़के के साथ अप्राकृतिक यौनाचार किया और उसे अत्यधिक शारीरिक और मानसिक पीड़ा दी. न्यायाधीश ने आठ सितंबर को एक आदेश में कहा कि मुझे अपील में कोई मेरिट नहीं मिलती है और इसलिए इसे खारिज किया जाता है और आईपीसी की धारा 377 के तहत दोषसिद्धि को बरकरार रखा जाता है. अदालत ने 23 सितंबर को उसकी सजा पर आदेश पारित किया.