
नाबालिग लड़की के पीठ और सिर पर हाथ फेरने से लज्जा भंग नहीं होती, अगर इरादा गलत न हो: कोर्ट
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बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने एक केस की सुनवाई के दौरान कहा है कि पीठ और सिर पर हाथ फेरने से अवयस्क लड़की की लज्जा भंग नहीं होती, अगर इरादा गलत न हो. 18 साल के व्यक्ति पर 12 साल की एक लड़की की लज्जा भंग करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.
मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. पीठ ने 28 वर्षीय एक व्यक्ति की दोषसिद्धी रद्द कर दी. यह केस 2012 का है. नागपुर पीठ ने कहा कि किसी गलत नीयत के बिना नाबालिग लड़की की पीठ और सिर पर केवल हाथ फेर देने से उसकी लज्जा भंग नहीं होती, अगर इरादा गलत न हो.
क्या है केस आरोपी पर व्यक्ति पर 12 साल की एक लड़की की लज्जा भंग करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था. 15 मार्च 2012 को अपीलकर्ता 18 साल का था. वह कुछ दस्तावेज देने लड़की के घर गया था. लड़की उस समय घर अकेली थी. उसने लड़की के सिर और पीठ पर हाथ फेरा. इसके बाद लड़की चिल्लाने लगी. अदालत ने 10 फरवरी को मामले में फैसला सुनाया, जिसकी प्रति 13 मार्च को उपलब्ध हुई.

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