नरेंद्र मोदी व सरकारी अधिकारियों की सिविल सोसाइटी पर टिप्पणियों को लेकर पूर्व नौकरशाहों ने चिंता जताई
The Wire
पूर्व सिविल सेवकों ने कहा कि नागरिक समाज या सिविल सोसाइटी शासन व्यवस्था के महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर हैं, पर आज संवैधानिक आचरण के मानकों की अवहेलना या कार्यपालिका के अधिकारों के दुरुपयोग के संबंध में आवाज़ उठाने वालों को 'विदेशी एजेंट' और 'अवाम का दुश्मन' घोषित कर दिया जाता है.
नई दिल्ली: 102 पूर्व सिविल सेवकों के समूह ने बीते 28 नवंबर को एक पत्र लिखकर हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य बड़े अधिकारियों द्वारा देश के नागरिक समूहों पर की गईं टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है.
उन्होंने कहा, ‘नागरिक समाज में विविध संगठित और असंगठित समूह सम्मिलित हैं. वे अपने-अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए उस विस्तृत जनतांत्रिक क्षेत्र में क्रियाशील हैं, जो शासन और व्यापार की परिधि से बाहर है. समालोचना, वाद-विवाद और विमर्श का स्थल होने के कारण नागरिक समाज शासन व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण हितधारक तो है ही, वह जनआकांक्षाओं की पूर्ति के अभियान में उत्प्रेरक और सहभागी की भूमिका भी निभाता है.’
सिविल सेवकों ने आगे कहा, ‘पर आज नागरिक समाज को प्रतिकूलता के चश्में से देखा जाता है. संवैधानिक आचरण के मानकों की अवहेलना या कार्यपालिका के अधिकारों के दुरुपयोग के संबंध में आवाज उठाने का दुस्साहस करने वालों को ‘विदेशी एजेंट’ और ‘अवाम का दुश्मन’ घोषित कर दिया जाता है. व्यवस्था के स्तर पर विदेशी योगदान, कंपनियों की समाजिक जिम्मेदारी और आयकर छूट के कानूनी ढांचे में फेरबदल करके स्वच्छिक संस्थाओं की आर्थिक स्वतंत्रता की बुनियाद को लगातार कमजोर किया जा रहा है.’
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व सिविल सेवकों में अनीता अग्निहोत्री, गुरजीत सिंह चीमा, एएस दुलत, वजाहत हबीबुल्लाह, हर्ष मंदर और मीरा पांडे जैसे लोग शामिल हैं.