![धर्मांतरण के अधिकार पर मोदी सरकार का रवैया विवेक की स्वतंत्रता पर हमला है](https://thewirehindi.com/wp-content/uploads/2022/12/Narendra-Modi-At-Mahakal-Ujjain-PIB-e1670844666948.jpg)
धर्मांतरण के अधिकार पर मोदी सरकार का रवैया विवेक की स्वतंत्रता पर हमला है
The Wire
बीते दिनों नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए एक हलफ़नामे में कहा है कि 'धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में अन्य लोगों को किसी विशेष धर्म में परिवर्तित करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है.'
बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में धर्मांतरण के एक मामले में हुई कार्यवाही के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार ने एक औपचारिक हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसके अंतःकरण की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी पर दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं. सरकार के हलफनामे में कहा गया कि ‘धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में अन्य लोगों को एक विशेष धर्म में धर्मांतरित करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है.’
यह विडंबना ही है कि सरकार ने ऐसा कहते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 की बात की है जो देश के सभी व्यक्तियों (केवल नागरिक नहीं) को अंतःकरण (विवेक) की स्वतंत्रता और धर्म के स्वतंत्र अभ्यास और प्रचार के अधिकार की गारंटी देता है. हालांकि, इसे तैयार करने वाले गृह मंत्रालय के कर्मचारियों ने इसे ‘राइट टू कॉन्शियन्स [conscience] की बजाय कॉन्शियस [conscious] लिख दिया है, मगर उस बात को जाने देते हैं.
सरकार द्वारा दिया गया महत्वपूर्ण तर्क यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1977 के अपने स्टेनिसलौस फ़ैसले में पहले ही कहा है कि अनुच्छेद 25 के तहत ‘धर्म का प्रचार’ करने के अधिकार में धर्मांतरण का अधिकार शामिल नहीं है, बल्कि ऐसा ‘किसी धर्म के सिद्धांतों की व्याख्या को प्रसारित करने के सकारात्मक अधिकार के संदर्भ में कहा गया है.’
इस तर्क का संदर्भ अकादमिक नहीं है. भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित कई राज्यों ने किसी भी धर्म परिवर्तन- और विशेष रूप से अंतरधार्मिक विवाह से जुड़े धर्मांतरण- को आपराधिक बनाने के लिए कड़े कानून बनाए हैं या पारित करने की मांग कर रहे हैं, जिन्हें सरकार की मंजूरी नहीं है. मानो इतना काफी नहीं था कि भाजपा के एक आदतन मुकदमेबाज ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, और एक याचिका दायर करते हुए मांग की है कि केंद्र सरकार और सभी राज्यों को ‘छलपूर्वक किए गए धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने’ के निर्देश दिए जाएं.