द ग्रेट गेम: जब ब्रिटेन को ये डर सताने लगा कि रूस उससे भारत न छीन ले
BBC
ब्रितानी और रूसी जासूस सुदूर घाटियों और वीरान रेगिस्तानों में अपनी जान को ख़तरे में डाल कर अपनी सरकारों के लिए समर्थन और जानकारी हासिल कर रहे थे. ब्रिटेन और रूस के बीच क्षेत्र में वर्चस्व के इस संघर्ष को 'ग्रेट गेम' भी कहा गया है.
यह उन्नीसवीं सदी के शुरुआत की बात है. युवा ब्रितानी अधिकारियों की एक टीम ख़ुफ़िया मिशन के तहत सिंधु नदी में पानी के बहाव, उसकी गहराई और उसमें शिपिंग की संभावनाओं के बारे में जानकारी एकत्र कर रही थी.
उनकी पूरी कोशिश थी कि सिंध के गवर्नरों और पंजाब में रणजीत सिंह की सरकार को किसी भी तरह से इस मिशन की ख़बर न लगे. लंदन में, सिंधु नदी को ब्रिटेन के हित के लिए एक व्यापारिक जलमार्ग में बदलने का निर्णय लिया जा चुका था.
एक वरिष्ठ ब्रितानी अधिकारी के अनुसार, "सिंधु नदी को टेम्स नदी में बदला जाना था." सिंधु नदी पर मुख्य बंदरगाह बनाने के लिए मिट्ठनकोट नामक क्षेत्र को चुना गया था.
ये वह समय था जब ब्रिटेन ने 'सोने की चिड़िया' कहे जाने वाले भारत में अपनी उपस्थिति मज़बूत कर ली थी और अब उसे ख़तरा था, कि कहीं रूस उससे भारत को न छीन ले. रूस और ब्रिटेन के बीच पहले से ही इस क्षेत्र में वर्चस्व का संघर्ष चल रहा था.
ब्रितानी और रूसी जासूस और मुख़बिर पेशावर, काबुल, कंधार, बुख़ारा और मुल्तान जैसे प्रमुख शहरों के अलावा बड़ी बड़ी पहाड़ी श्रृंखलाओं की सुदूर घाटियों और वीरान रेगिस्तानों में अपनी जान को ख़तरे में डाल कर अपनी सरकारों के लिए समर्थन और जानकारी हासिल कर रहे थे. ब्रिटेन और रूस के बीच क्षेत्र में वर्चस्व के इस संघर्ष को 'ग्रेट गेम' भी कहा गया है.