
दुनिया के मुसलमानों को एकजुट करने का वो ख़्वाब जो पूरा ना हो सका
BBC
हिजाज़ रेलवे का निर्माण साल 1900 में उस्मानिया सल्तनत के सुल्तान अब्दुल हमीद द्वितीय के आदेश पर किया गया था, ताकि मक्का की यात्रा को आसान और सुरक्षित बनाया जा सके.
ओमान में धूल भरी सड़क पर सफ़र करते हुए, हो सकता है कि हिजाज रेलवे स्टेशन आपकी नज़रों से ओझल हो जाए.
वहां पहुंचने के लिए, आपको शहर की घुमावदार सड़कों को भी नज़रअंदाज करना होगा, जो कि किसी भूलभुलैया से कम नहीं हैं और शहर के ऐतिहासिक केंद्र, पहाड़ों और प्राचीन क़िलों जैसे प्रसिद्ध स्थानों के आसपास दूर तक फैली हुई हैं.
हिजाज़ रेलवे स्टेशन तक पहुंचने का रास्ता वैसे तो लगभग पांच किलोमीटर का ही है, लेकिन जॉर्डन की राजधानी ओमान में ट्रेफ़िक की वजह से अक्सर भीड़ रहती है, इसलिए ये यात्रा और भी लंबी हो जाती है.
रेलवे स्टेशन के पत्थर से बने प्रवेश द्वार से अंदर दाख़िल होते ही आपको ऐसा लगेगा जैसे आप किसी दूसरे युग या दूसरी दुनिया में पहुंच गए हों. यहां अभी भी भाप के इंजनों की ट्रेन चलती है. इस बात की काफ़ी उम्मीद है कि यह रेलवे ट्रैक मुस्लिम दुनिया को एक कर सकता है.
हिजाज़ रेलवे का निर्माण साल 1900 में उस्मानिया सल्तनत (वर्तमान तुर्की) के सुल्तान अब्दुल हमीद द्वितीय के आदेश पर किया गया था, ताकि मक्का की यात्रा को आसान और सुरक्षित बनाया जा सके.
