'दिल्ली डायलॉग' के बाद अफ़ग़ानिस्तान पर रूस के अलग बयान के मायने
BBC
भारत समेत सात देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने नई दिल्ली में अफ़ग़ानिस्तान पर एक साझा बयान जारी किया. लेकिन रूस ने जो बयान जारी किया वो इनसे हटकर और कई बदलावों के साथ था. आखिर क्या हैं इसके मायने?
बुधवार को दिल्ली में रूस, ईरान और भारत समेत आठ देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मिले और उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर आम सहमति बनाने में कामयाबी भी हासिल की.
मध्य एशिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के लिए भी ये बैठक बहुत अहम मानी जा रही थी, क्योंकि इनमें से दो देशों को छोड़कर बाक़ी के मध्य एशियाई देशों की सरहद अफ़ग़ानिस्तान से लगती है.
इसलिए अफ़ग़ानिस्तान में जो कुछ हो रहा है, उसका सीधा प्रभाव इन देशों पर पड़ रहा है. ईरान की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है, जिसे न सिर्फ़ अपने सरहदों की हिफ़ाज़त करनी है, बल्कि अफ़ग़ानिस्तान से पलायन कर रहे अल्पसंख्यक शिया हज़ारा समुदाय की चिंता भी उसे है.
चीन और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की ग़ैर मौजूदगी में हुए इस 'दिल्ली डायलॉग' के बाद साझा बयान जारी किया गया है और उसमें कहा गया है कि तालिबान शासन प्रमुख रूप से अफ़ग़ानिस्तान में रह रहीं महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन न हो, ये सुनिश्चित करे.
प्रस्ताव में ये भी कहा गया है कि तालिबान को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी धरती का इस्तेमाल "आतंकवादी गतिविधियों" के लिए न किया जाए.