
तरुण तेजपाल: बलात्कार, यौन उत्पीड़न, क़ानून और मीडिया के बारे में क्या बताता है यह कैस?
BBC
भारत में यौन हिंसा के ख़िलाफ़ कड़े किए गए क़ानूनों के तहत दायर केस में तरुण तेजपाल अपनी जूनियर सहकर्मी के सभी आरोपों से बरी कर दिए गए हैं.
साल 2013 में न्यूज़ मैगज़ीन तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल पर बलात्कार के आरोप लगने के बाद, 'तेजपाल का तहलका कांड' और 'तरुण तेजपाल ने ख़ूब कमाई दौलत और शोहरत, स्कैंडल ने कर दिया बर्बाद' जैसी हेडलाइन्स के साथ कई लेख छपे. एक नामचीन और रसूख़दार पत्रकार के ख़िलाफ़ इतना संजीदा आरोप सामने आने को मीडिया ने काफ़ी तरजीह दी. ये वो वक़्त था जब भारत में यौन हिंसा से जुड़े क़ानूनों में बड़े परिवर्तन किए गए थे और डिजिटल रेप, शादी में बलात्कार, काम की जगह पर यौन उत्पीड़न, शारीरिक संबंध बनाने में महिलाओं की सहमति जैसे मुद्दों पर खुलकर बहस होनी शुरू हुई थी. क़रीब आठ साल बाद अब गोवा की एक फ़ास्ट-ट्रैक अदालत ने तरुण तेजपाल को अपनी सहकर्मी के बलात्कार, यौन उत्पीड़न और जबरन बंधक बनाने के सभी आरोपों से बरी कर दिया है. भारत में महिलाओं के अधिकारों के लिए बड़ी उथल-पुथल के वक़्त सामने आए इस केस से बलात्कार, यौन उत्पीड़न और मीडिया के बारे में कई बातें सामने आती हैं.More Related News
