
डर्टी फ़्यूल कहा जाने वाला कोयला एक बार फिर इतनी डिमांड में क्यों है?
BBC
गैस, पवन और सौर ऊर्जा बिजली की बेतहाशा बढ़ी मांग को पूरा कर पाने के लिए काफी नहीं थे. इसलिए दुनिया ने पर्यावरणवादियों के विरोध के बावजूद फिर से कोयले को जलाना फिर से शुरू कर दिया.
लगता है कि ईंधन के रूप में कोयले का पुनर्जन्म होने जा रहा है.
भले ही दुनिया भर के तमाम देशों ने ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने के लिए कार्बन उत्सर्जन कम करने का वादा कर रखा है, लेकिन इसके बावजूद धरती का सबसे गंदा ईंधन कहा जाने वाला कोयला, जो ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन का प्रमुख स्रोत रहा है, एक बार फिर से बहुत डिमांड में है.
हालांकि ऐसा नहीं है कि सब कुछ बुरा ही हो रहा है, ग्रीन एनर्जी और कोयले की खपत को लेकर कुछ अच्छी ख़बरें भी हैं.
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) ने अनुमान लगाया है कि अगले तीन सालों तक कोयले की खपत में कमी नहीं होने वाली है और कोयले की खपत के लिहाज से 2021 एक रिकॉर्ड वाला साल रहा.
इसकी वजह भी थी. दुनिया कोरोना महामारी के कारण बने हालात के बाद तेज़ी से उबर रही थी. ऊर्जा की ज़्यादा खपत होना लाज़िमी ही था.
