
जानकारी के बावजूद नाबालिग के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न की सूचना न देना गंभीर अपराध: सुप्रीम कोर्ट
The Wire
महाराष्ट्र के एक डॉक्टर ने एक छात्रावास में नाबालिग छात्राओं के साथ यौन शोषण की जानकारी होने के बावजूद उचित प्राधिकरण को सूचित नहीं किया था, जिसके लिए पुलिस ने उस पर पॉक्सो का मामला दर्ज किया था. हाईकोर्ट द्वारा डॉक्टर के ख़िलाफ़ मामले को रद्द करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि जानकारी के बावजूद नाबालिग के खिलाफ यौन उत्पीड़न की सूचना नहीं देना एक गंभीर अपराध और अपराधियों को बचाने का प्रयास है.
न्यायालय ने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत अपराध होने की त्वरित और उचित जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण है और ऐसा न कर पाना कानून के उद्देश्य और प्रयोजन को विफल कर देगी.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, अदालत ने महाराष्ट्र के एक छात्रावास में कई नाबालिग आदिवासी लड़कियों के यौन शोषण की रिपोर्ट न करने के लिए एक डॉक्टर को मुकदमे का सामना करने का आदेश दिया.
अख़बार के अनुसार, मेडिकल जांच के दौरान नाबालिग आदिवासी छात्राओं, जिनमें से कुछ कक्षा तीन और पांच में थीं, ने चंद्रपुर जिले के इन्फैंट जीसस इंग्लिश पब्लिक हाई स्कूल के छात्रावास के सुप्रिटेंडेंट और चार अन्य लोगों द्वारा उनके साथ यौन शोषण के बारे में एक डॉक्टर को सूचित किया था, लेकिन कथित तौर पर आरोपियों को बचाने के लिए उन्होंने यह बात छिपा ली.
