जम्मू कश्मीर मानवाधिकार आयोग भंग होने के बाद मानवाधिकार हनन के रिकॉर्ड कमरे में बंद: आरटीआई
The Wire
आरटीआई कार्यकर्ता वेकेंटेश नायक ने एक आवेदन में अक्टूबर 2019 तक जम्मू कश्मीर मानवाधिकार आयोग के सामने लंबित शिकायतों की संख्या पूछी थी. इसके जवाब में प्रशासन ने कहा है कि उसके पास इससे जुड़ी सूचना नहीं है क्योंकि पिछले रिकॉर्ड औपचारिक रूप से क़ानून, न्याय एवं संसदीय कार्य विभाग को नहीं सौपें गए हैं.
नई दिल्ली: अगस्त, 2019 में विभाजित कर जम्मू कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने से पहले राज्य मानवाधिकार आयोग के पास कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर जो भी रिकॉर्ड था, वह तब इस पैनल के भंग कर दिए जाने के बाद से एक कमरे में बंद है.
एक आरटीआई आवेदन पर यह जानकारी सामने आई है. सामाजिक कार्यकर्ता वेकेंटेश नायक ने सूचना के अधिकार कानून के तहत एक आवेदन देकर 31 अक्टूबर, 2019 तक आयोग के सामने लंबित शिकायतों की संख्या जाननी चाही थी.
उसी समय जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 प्रभाव में आया था. इस पुनर्गठन से पिछले जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया था तथा केंद्रीय कानूनों के प्रभाव में आ जाने से राज्य मानवाधिकार एवं राज्य सूचना आयोग जैसे स्वायत्त निकाय भंग कर दिए गए थे.
नायक के आवेदन पर जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कहा है कि उसके पास पिछले पैनल के रिकॉर्ड से जुड़ी सूचना नहीं है.