
जब ब्रिटेन की महारानी कैथरीन दहेज में लाई थीं चाय के डिब्बे, 'अ सिप इन टाइम' में पूरी कहानी
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इंग्लैंड की महारानी कैथरीन ऑफ ब्रिगेंजा अपने दहेज में चाय के चीन से आयातित डिब्बे लेकर आई थीं. इन्हीं सब रोचक किस्सों को अपने में समेटे हुए है ‘अ सिप इन टाइम’.
नयी दिल्ली: एक जमाना वह भी था जब चाय इतनी बेशकीमती चीज मानी जाती थी कि इंग्लैंड की महारानी कैथरीन ऑफ ब्रिगेंजा अपने दहेज में चाय के चीन से आयातित डिब्बे लेकर आई थीं और उसके बाद ही चाय इंग्लैंड में लोकप्रिय हुई. इसके बाद भारत के असम प्रांत के चाय बागानों में कैसे चाय के पौधे की मौजूदगी का पता चला और पहली बार असम की चाय कैसे इंग्लैंड पहुंची. इन्हीं सब रोचक किस्सों को अपने में समेटे हुए है ‘अ सिप इन टाइम’.
असम में चाय की मौजूदगी का पता चला किताब में सर पर्सिवल ग्रिफिथ की किताब ‘द हिस्ट्री ऑफ द इंडियन टी इंडस्ट्री' के हवाले से लिखा गया है कि रॉबर्ट ब्रूस एक साहसी कारोबारी था जो कारोबार के सिलसिले में ऊपरी असम तक जा पहुंचा. वहां वह ईस्ट इंडिया कंपनी की अनुमति से एक स्थानीय प्रमुख पुरंधर सिंह का एजेंट बन गया. कंपनी ऊपरी असम पर नियंत्रण हासिल करने के संघर्ष में पुरंधर सिंह का साथ दे रही थी. यहीं पर 1823 में रॉबर्ट ब्रूस को असम में चाय की मौजूदगी का पता चला और उसने चाय का एक पौधा और उसके कुछ बीज हासिल करने के लिए सिंगफो कबीले के प्रमुख के साथ एक समझौता किया.

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