
जब जावेद अख्तर ने 8 पेग व्हिस्की पीकर 9 मिनट में लिख डाला ये प्यार भरा आइकॉनिक गीत
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फिल्मी तड़क-भड़क से दूर, रियल सी लगने वाली कहानियों में फारूक और दीप्ति एक अलग 'रियलिस्टिक' रोमांस का चेहरा थे. और इन दोनों के ऑनस्क्रीन रोमांस का जादू दिखाने वाला एक बहुत खूबसूरत और पॉपुलर गीत है- 'तुमको देखा तो ये खयाल आया, जिंदगी धूप तुम घना साया.' जितना ये गीत यादगार है, इसके बनने की कहानी उतनी ही मजेदार है.
फारूक शेख और दीप्ति नवल की जोड़ी भले अपने दौर का ट्रेडमार्क बन चुकीं चमचमाती मसाला हिंदी फिल्मों में बार-बार साथ नहीं नजर आई मगर ये 80s के दौर की सबसे बेहतरीन ऑनस्क्रीन जोड़ियों में से एक थी. उस दौर में बड़े पर्दे पर राज कर रहे अमिताभ बच्चन अलग-अलग फिल्मों में रेखा, परवीन बाबी और जीनत अमान के साथ फिल्मों में ऐसे रोमांटिक प्लॉट में नजर आते थे जो सपनों में घटने वाला, ओवर-द-टॉप मामला होता था.
उस दौर में अधिकतर लव स्टोरीज बड़ी 'फिल्मी' होती थीं. मगर इन्हीं सब के बीच, लिमिटेड बजट और फिल्मी तड़क-भड़क से दूर, रियल सी लगने वाली कहानियों में फारूक और दीप्ति एक अलग 'रियलिस्टिक' रोमांस का चेहरा थे. और इन दोनों के ऑनस्क्रीन रोमांस का जादू दिखाने वाला एक बहुत खूबसूरत और पॉपुलर गीत है- 'तुमको देखा तो ये खयाल आया, जिंदगी धूप तुम घना साया.'
कुलदीप सिंह की कंपोज की हुई धुन को, जगजीत सिंह की जादुई आवाज ने वो रंग दिया जो शायद ही कभी बॉलीवुड लवर्स से उतरे. लेकिन हर अच्छे गाने की तरह इसे यादगार बनाने वाली सबसे महत्वपूर्ण चीज हैं इसके लिरिक्स. सादगी से भरे, प्रेम के पॉपुलर फिल्मी रूपकों से दूर ये लिरिक्स रचे थे जावेद अख्तर ने. इन लिरिक्स के कागज पर उतरने का किस्सा बहुत मजेदार है.
संघर्ष की धूप में छाया बनकर आए प्रेम का गीत फारूक शेख और दीप्ति नवल की जोड़ी को लोग 'चश्मे बद्दूर', 'कथा' और 'फासले' वगैरह फिल्मों में ज्यादा याद रखते हैं. मगर इन दोनों के ऑनस्क्रीन रोमांस के जादू को महसूस करने के लिए एक और बहुत खूबसूरत फिल्म है 'साथ साथ' (1982).
एक आदर्शवादी लड़के के प्रेम में, अपने रईस पिता का घर छोड़कर आई लड़की को धीरे-धीरे एहसास होता है कि शादी-ब्याह-घर-गृहस्थी की भभकती आंच में प्रेम कैसे कपूर बनकर हवा में उड़ जाता है. लड़के को एहसास होता है कि तरक्की का आसमान चूमने के चक्कर में उसके पैरों तले की जमीन खिसक गई है.
ये कहानी है तो बहुत रियल मगर इसकी शुरुआत में जब प्रेम पनप रहा है तब फारूक और दीप्ति स्टारर ये लव स्टोरी देखते हुए आप पाएंगे कि आपके चेहरे पर लगातार एक बहुत प्यारी मुस्कराहट बनी हुई है. 'तुमको देखा तो ये खयाल आया' कहानी के इसी दौर में आया हुआ गीत है जो फिल्म के मुकाबले कहीं ज्यादा पॉपुलर हुआ और फिल्मों से रोमांस सीख रहे रियल लाइफ लवर्स के लिए एक एंथम बन गया. लेकिन ये जानकर आप हैरान हो जाएंगे कि लगभग साढ़े चार मिनट लंबा ये गाना लिखने में जावेद साहब ने मात्र नौ मिनट का वक्त लगाया था. वो भी तब, जब उनके शरीर में ठीकठाक शराब उतर चुकी थी.

आशका गोराडिया ने 2002 में एक यंग टेलीविजन एक्टर के रूप में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कदम रखा था. 16 साल बाद उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया. इसका कारण थकान नहीं, बल्कि एक विजन था. कभी भारतीय टेलीविजन के सबसे यादगार किरदार निभाने वाली आशका आज 1,800 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन वाली कंपनी की कमान संभाल रही हैं.












