छात्र ने हाईकोर्ट से की NEET की उम्र सीमा 17 से घटाकर 15 करने की मांग की; फिर जो हुआ, वह जानें
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दिल्ली हाईकोर्ट ने नीट में शामिल होने के वास्ते न्यूनतम आयु मानदंड को चुनौती देने वाली इस याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.
नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के जरिए आयोजित राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) में शामिल होने के लिए 17 वर्ष के न्यूनतम उम्र के पैमाने को चुनौती देने वाली एक याचिका को मंगल को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की बेंच ने कहा कि पात्रता मानदंड तय करना नीतिगत मामला है और इसमें कोर्ट का दखलअंदाजी करने की कोई वजह नहीं दिखती है. बेंच ने कहा, ‘‘हमें इम्तिहान में शामिल होने की न्यूनतम उम्र कम करने का कोई कारण नजर नहीं आता है. यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि अदालतों की प्राथमिक भूमिका कानून की व्याख्या करना है, विशेष तौर पर जब कानून स्पष्ट हो. न्यायालय का कानून से कोई सरोकार नहीं है जैसा कि उसे होना चाहिए.’’ उम्र सीमा तय करना मोलिक अधिकारों का उल्लंघन याचिकाकर्ता छात्र के वकील ने कहा कि उसके मुवक्किल, जो चिकित्सा के क्षेत्र में जाना चाहता है, की उम्र परीक्षा में शामिल होने के लिए केवल 13 महीने कम थी और न्यूनतम आयु 17 वर्ष से घटाकर 15 वर्ष की जानी चाहिए. वकील ने कहा, ‘‘यह पीढ़ी दो दशक पहले की पीढ़ी से कहीं अधिक आगे है.’’ अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि 17 वर्ष की आयु पात्रता संविधान के अनुच्छेद 14, 16, 19 और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.More Related News