
चीन, सऊदी अरब, भारत और जापान जैसे देश कब तक अमेरिकी पेट्रोडॉलर पर निर्भर रहेंगे
BBC
यूएस एनर्जी इनफॉरमेशन एडमिनिस्ट्रेशन के 2020 के आंकड़ों के मुताबिक सऊदी अरब तेल का जितना निर्यात करता है, उसका 77 फीसदी एशियाई बाज़ारों में जाता है. सिर्फ दस फीसदी हिस्सा यूरोप में जाता है.
कुछ दिनों पहले अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल में एक ख़बर छपी कि सऊदी अरब चीन से तेल की बिक्री के बदले युआन में भुगतान लेने पर विचार कर रहा है.
इस ख़बर के साथ ही ये अफ़वाहें भी ज़ोर पकड़ने लगीं कि क्या ये पेट्रोडॉलर के ज़माने के अंत की शुरुआत तो नहीं है.
सत्तर के दशक में 'पेट्रोडॉलर' शब्द चलन में आया था और इसके साथ ही दुनिया के कारोबार में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले लेन-देन के लिए पसंदीदा मुद्रा के रूप में डॉलर की स्थिति मजबूत होती चली गई.
ऊर्जा क्षेत्र की पब्लिशिंग कंपनी 'एनर्जी इंटेलिजेंस' के सीनियर एडिटर रफीक़ लाट्टा कहते हैं कि चीनी मुद्रा युआन वाली ख़बर सऊदी सूत्रों के हवाले से आई थी.
सऊदी अरब ने इस पर आधिकारिक तौर से अभी तक कुछ नहीं कहा है. लेकिन इस जानकारी के सामने आते ही इतना तो तय था कि इस पर कुछ दिनों तक बहस चलेगी.
