'ग्रीन' शब्द का इस भाषा में नहीं कोई जिक्र, वजह जान रह जाएंगे भौचक्के
Zee News
सोचिए जिन शब्दों को आप रोज बोलते हैं वो किसी भाषा में हो ही नहीं. यानी कि हिंदी में हरा तो अंग्रेजी में ग्रीन कहते हैं लेकिन कुछ भाषाएं ऐसी हैं जिनमें इस रंग के लिए कोई शब्द ही नहीं है.
नई दिल्ली: जोरान निकोलिक (Zoran Nikolic) की नई किताब 'द एटलस ऑफ अनयूजुअल लैंग्वेजेज' में कुछ सबसे दिलचस्प खुलासे किए गए हैं. इसी किताब में मेक्सिको से लेकर न्यूजीलैंड तक की कुछ ऐसी जगहों के बारे में जिक्र है जहां, कुछ शब्द जिनकी हमें रोजमर्रा की बोलचाल में जरूरत पड़ती है वे हैं ही नहीं. साथ ही कुछ भाषाएं ऐसी हैं जो मात्र पांच या छह लोग ही बोलते हैं अब.
मध्य नेपाल में एक हरे भरे वर्षावन में कुसुंडा जनजाति रहती है. इस जनजाति की भाषा में 'हरा' रंग कोई शब्द ही नहीं है. जोरान ने किताब में खुलासा किया कि शायद ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि कुसुंडा जनजाति के चारों ओर हरियाली ही हरियाली है, 'इसलिए उन्हें इस रंग का स्पष्ट वर्णन करने की कोई आवश्यकता नहीं हुई. हालांकि कुसुंडा भाषा विलुप्त होने के कगार पर है अब कुछ लोग ही इसे बोलते हैं.
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास के खिलाफ युद्ध में अगर जरूरत पड़ी तो उनका देश ‘अकेला भी खड़ा’ रहेगा. नेतन्याहू का यह बयान, बृहस्पतिवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की उस चेतावनी के बाद आया जिसमें कहा गया है कि अमेरिका, इजराइल को दक्षिणी गाजा शहर रफह पर हमले के लिए हथियार मुहैया नहीं करेगा.