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गुजरात में पानी की भयंकर किल्लत, समझिए क्यों आई ये आफत?

गुजरात में पानी की भयंकर किल्लत, समझिए क्यों आई ये आफत?

The Quint
Friday, August 13, 2021 05:20:43 PM UTC

Gujarat Water Crisis| गुजरात के कुछ हिस्सों में सूखे के हालत बन गए हैं. सिंचाई का पानी रोक दिया गया है. और पेयजल की भी दिक्कत हो गई है. There is acute shortage of water in Gujarat, why this crisis came people struggling for Water

एक ओर जहां देश के कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है, वहीं गुजरात के कुछ हिस्सों में सूखे के हालत बन गए हैं. सिंचाई का पानी रोक दिया गया है. और पेयजल की भी दिक्कत हो गई है.न ऊपर से पानी, न नीचे से पानीगुजरात में बारिश की किल्लत तो है ही, साथ ही जलाशय भी खाली हैं. गुजरात में अभी तक 41 फीसदी कम बारिश हुई है. राज्य के सभी 33 जिलों में औसत से कम बारिश हुई है. 11 जिलों में तो 50 प्रतिशत से भी कम बारिश हुई है.ADVERTISEMENTबांंधों में कितना पानी बचासुरेन्द्रनगर के 11 बांध - 17% सीपू बांध - 0.80% दांतीवाड़ा बांध- 8.62% ADVERTISEMENTबीते वर्ष जामनगर जिले में अगस्त तक में 107 प्रतिशत बारिश हो चुकी थी, लेकिन इस बार बारिश मात्र 34 फीसदी ही हुई है. अहमदाबाद में अगले कुछ दिनों में तापमान 35 डिग्री पहुंचने की आशंका है. सूरत में भी सूखे के हालात हैं.पेयजल भी रुकाजैसे जैसे बांध का पानी सूख रहा है, किसानों की आंखों के पानी आना शुरू हो गया है. गुजरात के कुछ इलाकों में अभी तक सिर्फ सिंचाई का पानी ही बंद था, सीपू बांध के आसपास अब पेयजल आपूर्ति भी बंद कर दी गयी है. मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग को 30 सितंबर तक के लिए जलाशयों में पीने का पानी रोकने के बाद बचे पानी को फसलों के लिए छोड़ने का निर्देश दिया है.ADVERTISEMENTकुछ गांवों में आजादी के बाद अब तक पानी की घोर किल्लत हैभारत-पाकिस्तान से सटे गुजरात के कच्छ का खावड़ा इलाका, जहां के लगभग 15 गांवों के लोग आज भी पानी को तरस रहे हैं. हालांकि सरकार के दावों के अनुसार पानी की पर्याप्त व्यवस्था है, लेकिन वास्तविकता में दावे खोखले ही हैं. पानी के लिए तड़पते लोगों का कहना है कि भुज के विधायक ने पानी की व्यवस्था कराने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया है. सुबह से शाम तक कड़कती धूप में पानी के लिए जद्दोजहद करते लोग अब पलायन को मजबूर हैं. बून्द बून्द पानी को तरसते लोग शिक्षा और अन्य विकास के बारे में क्या ही सोचेंगे!ADVERTISEMENTकिसानों का कहना है कि एक तो डीजल 100 रुपये पार हो गया है, हमने जैसे तैसे जुताई करके मंहगे खाद और बीज डालकर बुवाई तो कर दी थी, लेकिन अब बारिश की घोर किल्लत से सब सूख रहा है. सीमावर्ती क्षेत्रों के आय का प्रमुख स्रोत पशुपालन है लेकिन जहां इंसानों के लिए पानी नहीं है वहां पशुओं के लिए पानी कहां से आएगा? पानी की कमी से मवेशी मर रहे हैं.पानी नहीं वादा मिलासीमाव...
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