
क्या है असम-मिजोरम सीमा विवाद की वजह? अब हिंसक क्यों हो रहे हैं हालात
Zee News
असम और मिजोरम के बीच की सीमा 164.6 किलोमीटर लंबी है. मिजोरम के आइजोल, कोलासिब और मामित जिलों की सीमाएं असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों से मिलती है. अंग्रेजी शासनकाल के दौरान मिजोरम, असम का हिस्सा था और तब इसे लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था.
नितिन गौतम/ नई दिल्लीः बीती 26 जुलाई को असम और मिजोरम के बीच हुए सीमा विवाद में 6 पुलिसकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसके बाद से ही असम और मिजोरम के बीच तनाव काफी बढ़ा हुआ है. दोनों ही राज्यों ने विवाद को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है. फिलहाल सीमा पर स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण बनी हुई है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर दोनों राज्यों के बीच सीमा को लेकर क्या विवाद है और इसकी वजह क्या है? तो आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला और अब ऐसा क्या हुआ कि दोनों राज्यों के बीच हालात इतने तनावपूर्ण हो गए हैं? क्या है असम-मिजोरम सीमा विवाद असम और मिजोरम के बीच की सीमा 164.6 किलोमीटर लंबी है. मिजोरम के आइजोल, कोलासिब और मामित जिलों की सीमाएं असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों से मिलती है. अंग्रेजी शासनकाल के दौरान मिजोरम, असम का हिस्सा था और तब इसे लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था. 1873 में बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (BEFR) एक्ट के तहत 1875 में जारी की गई अधिसूचना के अनुसार, लुशाई हिल्स को असम के कछार के मैदानी इलाकों की सीमा तय की गई थी. इसके बाद साल 1933 को एक और अधिसूचना जारी की गई, जिसमें लुशाई हिल्स और मणिपुर के बीच सीमा का सीमांकन किया गया.
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Three new military bases: सिलिगुड़ी कॉरिडोर जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है. अब पूरी तरह एक मजबूत रणनीतिक किले में बदलने जा रहा है. सिर्फ 22 किलोमीटर चौड़ा यह इलाका उत्तर-पूर्वी भारत को देश के बाकी हिस्से से जोड़ता है. इसलिए इसकी सुरक्षा भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता है. इसी वजह से यहां तीन नए सैन्य स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं. जो भारत की रणनीति में बड़े बदलाव का संकेत हैं.

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