क्या क्रान्तिकारी भगत सिंह को फांसी से बचा सकते थे महात्मा गांधी?
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भगत सिंह को क्रान्तिकारी सुखदेव थापर और शिवराम हरि राजगुरु के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी. लेकिन इससे केवल 18 दिन पहले ही महात्मा गांधी ने 5 मार्च 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे इतिहास में गांधी-इरविन समझौता (Gandhi–Irwin Pact) कहा गया.
नई दिल्ली: आज हम DNA में एक बड़ा सवाल उठाएंगे और वो ये कि क्या महात्मा गांधी क्रान्तिकारी शहीद भगत सिंह को फांसी की सजा से बचा सकते थे? शहीद भगत सिंह का जन्म आज ही के दिन वर्ष 1907 में संयुक्त पंजाब के बंगा नाम के एक खटकर कलां में हुआ था. भारत की आजादी के लिए उन्होंने सिर्फ 23 साल की उम्र में शहादत दे दी थी. यानी जिस उम्र में आज के युवा पार्टी, वेकेशन और अपने फ्यूचर की तैयारियों में जुटे होते हैं, उस उम्र में शहीद भगत सिंह ने फांसी के फंदे को आजादी का आभूषण मान कर अपने गले में डाल लिया था.
भगत सिंह को क्रान्तिकारी सुखदेव थापर और शिवराम हरि राजगुरु के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी. लेकिन इससे केवल 18 दिन पहले ही महात्मा गांधी ने 5 मार्च 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे इतिहास में गांधी-इरविन समझौता (Gandhi–Irwin Pact) कहा गया.
Swati Maliwal: आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल ने गुरुवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया दी, जिनमें दावा किया गया था कि पार्टी चाहती थी कि वह अपनी राज्यसभा सदस्यता छोड़ दे ताकि उसे एक 'विशेष वकील' को दिया जा सके. इस पर उन्होंने कहा, अगर पार्टी चाहती कि वह राज्यसभा सदस्यता छोड़ दें तो वह खुशी-खुशी इसे छोड़ देतीं.
Pune Porsche Crash: पुणे के पोर्श कार हादसे मामले में ट्विस्ट आया है. अब 17 साल के नाबालिग आरोपी ने दावा किया है कि घटना के समय वह कार नहीं चला रहा था बल्कि फैमिली ड्राइवर चला रहा था. हादसे के समय आरोपी के साथ मौजूद उसके साथियों ने भी इस दावे का समर्थन किया है. वहीं महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की नेता सुप्रिया सुले और शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने दावा किया कि आरोपी को पुलिस स्टेशन में पिज्जा की पेशकश की गई.
West Bengal Violence: पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के छठे चरण के मतदान से पहले नंदीग्राम में बुधवार की रात हिंसा भड़क उठी. इससे राज्य की सियासत गरमा गई है. यह घटना पूर्वी मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम विधानसभा के ब्लॉक नंबर एक के सोनचूरा गांव के मनसा बाजार की है. बताया जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने कई भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों में घुसकर धारदार हथियारों से हमला किया.
Agnipath Scheme: अग्निपथ योजना में बदलाव हो सकते हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेना एक आंतरिक सर्वे करा रही है. इस सर्वे में सामने आने वाले निष्कर्षों को देखते हुए आगे योजना में बदलाव को लेकर सरकार से सिफारिश की जा सकती है. हालांकि अभी इस संबंध में सेना या सरकार की ओर से कोई भी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.