
कोरोना मरीजों के लिए फरिश्ता बनी सेवा भारती, 'ऑक्सीजन वैन' के जरिए पहुंचा रही मदद
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कोरोना महामारी काल में पीड़ितों की सबसे बड़ी समस्या शरीर में घटता ऑक्सीजन की स्तर है. इस कमी को को पूरा करने के लिए मेडिकल ऑक्सीजन के रूप में कृत्रिम ऑक्सीजन दी जाती है. भारत में कोरोना की दूसरी लहर में प्राणदायी चिकित्सा ऑक्सीजन की मांग चारों ओर बढ़ी है.
नई दिल्ली: कोरोना महामारी काल में पीड़ितों की सबसे बड़ी समस्या शरीर में घटता ऑक्सीजन की स्तर है. इस कमी को को पूरा करने के लिए मेडिकल ऑक्सीजन के रूप में कृत्रिम ऑक्सीजन दी जाती है. भारत में कोरोना की दूसरी लहर में प्राणदायी चिकित्सा ऑक्सीजन की मांग चारों ओर बढ़ी है. ऐसे में बाजार में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी होने लगी, अराजक तत्वों को कालाबाजारी का मौका मिला और कोरोना पीड़ितों के लिए सबसे बड़ी दौड़ शुरु हुई ऑक्सीजन की. इन हालात में विश्व के सबसे बड़े सेवाभावी स्वयंसेवी संगठन सेवा भारती ने समाज की इस चुनौती को भी हाथ में लिया है. हेल्पलाइन सेवा के माध्यम से सेवा भारती तक ऑक्सीजन की मांग पहुंची तो सबसे पहले गंभीर हालात वाले कोरोना पीड़ितों तक ऑक्सीजन सिलेंडरों के रूप में मदद पहुंचाई गई. हालांकि समस्या और भी गंभीर होने के कारण तय किया गया, कि मरीजों के परिजन ऑक्सीजन सिलेंडर लेने आएं तो क्यों ना खुद ऑक्सीजन की व्यवस्था ही पीड़ितों के पास अंतिम छोर तक पहुंचाई जाए. इसी विचार ने 'ऑक्सीजन वैन' सुविधा को जन्म दिया. सेवा भारती द्वारा मुहैया कराई गई ऑक्सीजन वैन सुविधा में मालवाहक कंटेनर में चार बेड लगाए गए, इसके साथ ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था, मास्क व दूसरा जरूरी सामान लेकर ये वैन तैयार की गई है. इस पूरे अभियान को ऑक्सीजन सेवा, प्राणवायु आपके द्वार नाम दिया गया है. दिल्ली में राम मनोहर लोहिया अस्पताल के बाहर इस सेवा के पहले दिन ही चंद घंटों में ऐसे कोरोना पीड़ितों को इस का लाभ मिलना शुरु हुआ, जिन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता थी. सेवा भारती का उद्देश्य है कि अस्पताल के दरवाजे तक पहुंचने से लेकर वार्ड में बेड मिलने तक का जो मूल्यवान समय कोरोना पीड़ित के पास है, उस समय में उसे जरूरी ऑक्सीजन मिलती रहे.
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Three new military bases: सिलिगुड़ी कॉरिडोर जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है. अब पूरी तरह एक मजबूत रणनीतिक किले में बदलने जा रहा है. सिर्फ 22 किलोमीटर चौड़ा यह इलाका उत्तर-पूर्वी भारत को देश के बाकी हिस्से से जोड़ता है. इसलिए इसकी सुरक्षा भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता है. इसी वजह से यहां तीन नए सैन्य स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं. जो भारत की रणनीति में बड़े बदलाव का संकेत हैं.

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