कोरोना की दूसरी लहर में हिमाचल के प्रवासी मज़दूरों का भविष्य फिर अनिश्चित हो गया है
The Wire
इस पहाड़ी राज्य में काम करने वाले प्रवासी मज़दूरों को डर है कि साल 2020 में कोरोना की पहली लहर में राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान उन्होंने जो दुख और चुनौतियां झेलीं, इस बार भी वैसा ही होने वाला है.
कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक तरफ देश में चुनावी रैलियों में उमड़ती भीड़ नज़र आई और कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु बेझिझक शाही स्नान में हिस्सा ले रहे थे, तो दूसरी तरफ देश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से असहाय तिलमिलाते लोग, भाग-दौड़ करते स्वास्थ्यकर्मी थे. श्मशान घाट में जलते सैंकड़ो शव और कुछ सफ़ेद चादर में लिपटे अपनी बारी का इंतज़ार करते. इन सुन्न कर देने वालीं तस्वीरों के बीच याद आते हैं पिछले वर्ष कोरोना के पहले दौर के वो चित्र, जहां अचानक प्रवासी मजदूरों का सैलाब सड़कों पर उतर आया था. इस साल जब दूसरी लहर की चपेट में देश का मध्यम वर्ग है तो आखिर मजदूरों का क्या होगा? प्रवासी मजदूरों से जुड़ीं कुछ खबरें तो अखबारों में हैं- जैसे हिमाचल के कांगड़ा की जयसिंहपुर तहसील से प्रवासी मजदूरों के एक बस भर कर वापस बिहार जाने की और ‘कोरोना पॉजिटिव निकले पांच मजदूरों को चंबा के पांगी क्षेत्र के बस स्टैंड में आइसोलेट’ किए जाने की. पर हिमाचल जैसे छोटे पहाड़ी राज्य में जहां बाकी देश की तुलना में प्रवासी मजदूर भी कम हैं और महामारी का फैलाव भी, वहां से ऐसी खबरें क्यों?More Related News