
किमोनो से कैसे खुली अमेरिका में बसे जापानियों के उत्पीड़न की कहानी
BBC
अब से क़रीब 80 साल पहले दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका ने जापानी मूल के अमेरिकियों को पकड़कर युद्ध ख़त्म होने तक जेलों में डाल दिया था. आज उनकी नई पीढ़ी इतिहास के उस काले अध्याय को न भूलाए जाने के लिए जूझ रही है.
2013 में शेन 'शैशै' कोनो के दादा का जब निधन हुआ, तो उनके सामान की हिफ़ाज़त करने के लिए परिवार के लोग उनके घर गए. उनके बाग़ में लगा शेड सामान से इतना भरा हुआ था कि लोग एक-एक करके ही वहां घुस पाए.
किशोर उम्र के होने के चलते कोनो को ही भारी सामान परिवार के सदस्यों को देने का काम सौंपा गया. उस दौरान उनकी नज़र अलमीरा के भीतर रखे कार्डबोर्ड के एक सूटकेस पर पड़ी.
उस सूटकेस पर एक स्टिकर चिपका था, जिस पर लिखा था- 'यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन.'
कोनो ने जब वो सूटकेस खोलकर देखा तो उसके भीतर कुछ कपड़े पड़े थे. उसे देखकर कोनो ने सोचा, 'क्या बात है, फैंसी मेज़पोश!'
उसके बाद जब उन्होंने उस रेशमी कपड़े को अपने परिजनों को दिखाया तो पता चला कि वो 'किमोनो' है. जापान के समाज में किमोनो का काफ़ी महत्व है. हर पारंपरिक और अहम मौक़ों पर जापान के लोग इसे पहनते हैं.
